नौ वर्षीय बाल सन्त द्वारा नौ दिवसीय श्रीरामकथा प्रारम्भ
udaipur. श्री महाकालेश्वर मन्दिर प्रांगण मे स्थित दक्षिणमुखी मंशापूर्ण हनुमान मन्दिर के सामने रामभक्त उपासक मण्डल की ओर से आयोजित नौ दिवसीय भव्य श्रीराम कथा शनिवार को प्रारम्भ हुई। पहले दिन सैंकड़ों महिला- पुरूष रामभक्तों ने जय श्री राम और जय-जय सियाराम के जयकारों से आसमान गूंजा दिया।
मण्डल के प्रवीण शर्मा ने बताया कि कथा के प्रथम दिन नौ वर्षीय बाल संत प्रियांशु महाराज ने कहा कि ये रामचरित मानस एक कारखाना है एक फैक्ट्री है। जिसमें एक साधारण आदमी कच्चे माल के रूप में आता है तथा बाद में प्रोडक्ट के रूप में कंपनी के बाहर महामानव बनकर निकलता है। इस मानस में सम्बन्धों की गाथा भरी पड़ी है। हर मानव के जीवन में काम आने वाली बाते श्री राम चरित मानस है। भाई-भाई में कैसा प्रेम स्नेह होना चाहिए ये मानस में मिलेगा। पिता पुत्र के बीच कैसा रिश्ता होना चाहिए, रामचरित मानस में मिलेगा। पिता की आज्ञा पालन के लिए एक राजपुत्र वन मेंं चला जाता है। और पिता भी ऐसा ही था कि वियोग में प्राण त्याग देता है ऐसा आदर्श चरित्र दूसरा कहां मिलगा। आजकल लोग अपने पुत्र को तो राम बनाना चाहते है, लेकिन खुद दशरथ बनना नहीं चाहते। जब तक हम खुद दशरथ नहीं बनेंगे तब तक हम अपने बेटे को राम नहीं बना सकते।
समानता का दूसरा नाम है सन्त : कथा के दौरान बाल संत ने संत महिमा बताई और कहा कि सिर्फ वेश पहनने से कोई संत नहीं बनता। संत तो देश, वेश, परिवेश, जाति, समाज, सम्प्रदाय सबसे ऊपर होता है। संत तो मानवता का पुजारी होता है। वह तो सबको सम दृष्टि से दखता है। समानता का ही दूसरा नाम संत है। बाल संत ने बाद में उपस्थित भक्तों को कहा कि हर व्यक्ति को सभी धर्मो का आदर करना चाहिए क्योंकि हर मानव प्रभु का बनाया हुआ और प्रभु की प्रत्येक कृति को नमन करो, वंदन करो और सारे संसार से प्रेम करो-क्योंकि प्रेम का दूसरा नाम ही परमात्मा है।
जैसे बाल रूपी श्रीराम स्वयं हो : श्रीराम कथा के दौरान बाल संत प्रियांशु जी महाराज हर भक्त के आकषर्ण का केन्द्र थे। व्यास पीठ पर बाल रूप में धाराप्रवाह कथा का वाचन कर रहे सन्त के एक- एक बोल को भक्त बड़ी ही तन्मयता से सुन रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे भगवान श्री राम का बाल रूप स्वयं व्यासपीठ पर विराजमान हों और उनकी अमृतवाणी भक्तों के कानों में गिर रही हो।
पवित्र पोथी यात्रा के बाद पूजन : आयोजन मण्डल के सदस्य दुर्गेश सुखवाल ने बताा कि कथा प्रारम्भ से पूर्व श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रांगण से भव्य पोथी यात्रा निकली। जिसमें कई रामभक्त साथ चल रहे थे। पोथी यात्रा का समापन कथा प्रांगण में हुआ। इसके बाद व्यास पीठ पर पवित्र पोथी को धराया गया और मंत्रोंच्चार और विधिविधान के साथ पूजा अर्चना की गई। व्यासपीठ पूजा संत श्री सुरेशगिरी जी, प्रयागगिरी जी तथा मैथिलेश शरण महाराज के सानिध्य में सम्पन्न हुई। यजमान के तौर पर तेजसिंह सरूपरिया व कमलेश सिद्धवानी उपस्थित थे जिन्होंने उपस्थित सन्त समाज का स्वागत किया। प्रारम्भ में दीप प्रज्वलन और अतिथि सत्कार कार्यक्रम हुआ। कथा के साथ ही धार्मिक भजनों की प्रस्तुतियां भी भक्तों को आनन्द दे रही थी।
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