हर्षोल्लास से मनाई जनुभाई की जयंति
उदयपुर। जो जाति, समाज, राष्ट्र अपने श्रेष्ठ पुरूषों का विस्तारण कर देता है, वह समाप्त हो जाता है। जनुभाई के जीवन का संघर्ष, उनकी प्रेरणा, उनके जीवन का संकल्प आज 78 वर्षों के बाद भी एक दैदीप्यमान नक्षत्र की तरह आज विद्यापीठ विश्वविद्यालय के रूप में जगमगा रहा है यह उनको निरंतर स्मरण करने का ही परिणाम है।
जनुभाई ने महाराणाओं के सौजन्य से शिक्षा प्राप्त की, उसको सहस्त्रगुना बनाकर समाज को दी। यह कहना था भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रलाय के अन्तर्गत संचालित राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष बलदेव भाई शर्मा का। अवसर था मंगलवार को जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ के संस्थापक मनीषी पं. जनार्दनराय नागर की 104 वीं जयंति का।
उन्होंने कहा कि पंडित नागर शिक्षाविद्, बहुभाषाविद्, समाजसेवी, कवि, नाटकरकार, कुशल राजनीतिज्ञ, पत्रकार, सारगर्भित वक्ता और सबसे उपर एक श्रेष्ठ मानव के साथ नैतिक व मानवीय मूल्यों के तपस्वी थे।
अध्यक्षता करते हुए कुलप्रमुख बीएल गुर्जर ने कहा कि जनुभाई का व्यक्तित्व एवं कृतित्व हमेशा क्रांतिकारी एवं प्रेरक रहा। उन्हें समाज की स्थिर व दयनीय स्थिति ने झकझोर डाला। उन्होंने बचपन से ही समाज में परिवर्तन लाने का निरंतर प्रयास किया। साथ ही महात्मा गांधी की बुनियादी पद्धति को मूर्तरूप देने के लिए मेवाड़ के आदिवासी अंचल में शिक्षा की अलख जगाने का प्रयास किया। कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि समाज और साहित्य को समर्पित भाव से सेवा करने वाले साहित्यकार पंडित जनार्दनराय नागर बहुमुखी प्रतिभा एवं विराट व्यक्तित्व के पर्याय थे। 1937 में हिन्दी विद्यापीठ की स्थापना कर सर्वहारा एवं जनसाधारण के लिए शिक्षा का कार्य किया। उन्होने कहा कि जनुभाई ने स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश की राष्ट्रीय, सांस्कृतिक अस्मिता केा पुनःजागृत करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मुख्य अतिथि प्रसिद्ध संगीतज्ञ कुमार चटर्जी ने रविन्द्रनाथ टैगोर द्वारा रचित गीतों को प्रस्तुत कर जनुभाई को याद किया। रजिस्ट्रार प्रो. सी.पी. अग्रवाल ने कहा कि जनुभाई ने विद्यापीठ में कार्य करने वाले कर्मचारी को कार्यकर्ता का दर्जा दिया। वे विद्यापीठ में कार्य करने वाले कार्यकर्ता को एक ही भाव से देखते थे। संचालन डॉ. अनिता राठौड़ ने किया जबकि धन्यवाद पीजीडीन प्रो. प्रदीप पंजाबी ने दिया। इस अवसर पर प्रो. जी.एम. मेहता, डॉ. हरीश शर्मा, डॉ. सुमन पामेचा, डॉ. जीवन सिंह खरकवाल, सहायक कुल सचिव डॉ. हेमशंकर दाधीच, डॉ. मनीष श्रीमाली, डॉ. मंजू मांडोत, डॉ. सुनिता सिंह, डॉ. शेलेन्द्र मेहता, डॉ. धमेन्द्र राजौरा, डॉ. दिलिप सिंह चौहान, ओम पारीख सहित शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।