उदयपुर। आखिरकार 214 वर्ष बाद श्रीनाथजी के बाल स्वमरूप नवनीतप्रिया (लालन) प्रभु का आगमन झीलों की नगरी में मंगलवार को हुआ। पूरे रास्ते भर जहां जहां से लालन प्रभु का काफिला निकला, वहां की सड़कें गुलाब की पत्तियों से सराबोर हो गई।
मुंबई से मंगवाई गई ऑडी कार में विराजित लालन प्रभु के झीलों की नगरी में प्रवेश करते ही वैष्णवजनों ने पलक पावड़े बिछाकर स्वागत किया। श्रद्धा से शोभायात्रा शहर भर में होते हुए शाम करीब 6.30 बजे आरएमवी स्कूल पहुंची। इससे पूर्व दोपहर 3.30 बजे सेलिब्रेशन मॉल से निकले काफिले को श्रद्धालुओं की अपार भीड़ के कारण आरएमवी तक पहुंचने में तीन घंटे से अधिक समय लग गया।
यहां से कार से प्रभु को सुखपालजी में विराजित कर कंधों पर वैष्णव जन व सेवादार श्रीनाथजी मंदिर लेकर पहुंचे। पूरे शहर को विभिन्न स्वागत द्वारों से भव्यत रूप से सजाया गया था। मार्ग में जगह जगह श्रद्धालुओं की खासी भीड़ लगी थी। शाम को श्रीनाथजी मंदिर में भव्य वन में झूलत नटवरलाल मनोरथ हुआ।