उदयपुर। बचपन में बच्चों द्वारा हड्डियों को मजबूत बनाने में काम आने वाली डाईट नहीं लेने से बुढ़ापे में ओस्टियोपोरोसिस होने की संभावना बढ़ जाती है। जिससे शरीर में फेक्चर होने की अधिक संभावना रहती है।
यह कहना था प्रसिद्ध अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. बीएल कुमार का जो गुरूवार को रोटरी क्लब उदयुपर द्वारा रोटरी बजाज भवन में ओस्टियोरोसिस:कारण एंव निवारण विषयक वार्ता में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि बच्चे के पैदा होने से लेकर 30 वर्ष तक हड्डियों की ग्रोथ बढ़ती है। इस दौरान यदि बालक एंव युवा ने हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए निर्धारित डाईट, नियमित व्यायाम, नियमित साईकिलिंग,फिजिकल जीवन शैली को अपनाता है तो वृद्धावस्था में उसे ओस्टियोरोसिस होने की संभावना कम रहती है।
डॉ. कुमार ने बताया कि 30 वर्ष के बाद हड्डियों की ग्रोथ में कमी आती जाती है। उन्होंने चार प्रकार के ओस्टियोरोसिस बताएं जिनमें प्रथम महिलाओं को पोस्ट मिनीपोजल ओस्टियोरोसिस में महिलाओं में हारमोन के साथ-साथ केल्शियम एंव मिनरल की कमी हो जाती है। जिससे उनमें ओस्टियोरोसिस होने की संभावना अधिक होती है। सनाईल ओस्टियोपोरोसिस -बढ़ती उम्र के साथ हड्डियों के कमजोर होना, सेकण्डरी ओस्टियोपोरोसिस में किसी न किसी कारणसे फेक्चर होना तथा इडियायोपैथिक जुएनाईल ओस्टियोरोसिस में बचपन से ही हड्डियों के कमजोर रहने के कारण यह रोग होता है।
उन्होंने बताया कि महिलाओ में ओवरी या यूट्रस के ऑपरेशन के कारण उनमें हारमोन,एंव मिनरल की कमी हो जाती है। ऐसे में उन्हें पूरी एहतियात बरतनी होती है। पुरूष एवं महिलाओं द्वारा डाईट केल्शियम एंव अन्य मिनरल की कमी के कारण ओस्टियोरोसिस होता है। नियमित व्यायाम नहीं करने के कारण, जीवन में शैली में परिवर्तन ,फिजिकल एक्टिविटी कम होने के कारण, केल्शियम एंव विटामिन की कमी, शरीर को पर्याप्त सूर्य की रोशनी नहीं मिलने के कारण हड्डयंा कमजोर रह जाती है।
डॉ. कुमार ने बताया कि इन दिनों नया ट्रेंड चल पड़ा है कि लड़किया स्लिम एंव फीट रहना चाहती है। ऐसे में वे डाईट पर रहती है। जिस कारण उन्हें विटामीन,प्रोटीन कैल्शियम एंव मिनरल नहीं पाता है। जीवन शैली में जंक फूड खाने, नियमित रूप से एल्कोहल लेने एवं धूम्रपान करने से भी ओस्टियोपोरोसिस होता है। थायराईड, हार्ट, डायबिटीज बीमारी के कारण भी हड्डियां कमजोर होती है। कैसर से पीडि़त होने के कारण शरीर में मिनरल की कमी हो जाती है।
निवारण-ओस्टियोपोरोसिस रोग पर पर बचपन से ही बच्चों को ध्यान आकृष्ट करना चाहिये। उन्हें खेल एवं साईकिलिंग करने को बढ़ावा देना चाहिये ताकि बॉन में केल्शियम की मात्रा,मिनरल एवं बॉन कन्टेन्टस बढ़ सके। इनसे बॉन की स्ट्रेन्थ बढ़ती है। खान-पान का पूरा ध्यान रखें, धूम्रपान एवं शराब का सेवन न करें, बेलेन्स डाईट लें, जिसमें सभी प्रकार के विटामीन एवं प्रोटीन के साथ-साथ केल्शियम की मात्रा बनी रह सकें। मार्निंग एंव इविनिंग वॉक करनी चाहिये। ओस्टियोपोरोसिस होने से हीप, स्पाईन, शॉल्डर, कलाई, एंकल के फेक्चर होने की संभावना बहुत अधिक रहती है। उन्होंने बताया कि अमेरीका में प्रतिवर्ष 10 लाख से अधिक लोगों को ओस्टियोपोरोसिस होने से फेक्चर होता है।
इस अवसर पर क्लब अध्यक्ष गजेन्द्र जोधावत ने कहा कि आमजन को ओस्टियोपोरोसिस के बारें में जागरूक करने हेतु कार्यक्रम आयोजित किये जाऐंगे। इस अवसर पर अतिथि के रूप में मनीष डूंगरवाल, रोटरी डिस्ट्रिक्ट 3131 से चन्द्रशेखर भी मौजूद थे। चन्द्रशेखर ने क्लब अध्यक्ष जोधावत के साथ फ्लैग एक्सचेंज किया। प्रारम्भ में अंजना जैन ने ईश वंदना प्रस्तुत की। सचिव सुभाष सिंघवी ने अंत में आभार ज्ञापित किया एवं आगामी सप्ताह आयोजित किये जाने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा प्रस्तुत की।