उदयपुर। नाट्यांश सोसायटी ऑफ ड्रामेटिक एंड परफोर्मिंग आर्ट्स द्वारा नाटक “दारोगाजी! चोरी हो गई।” का मंचन शुक्रवार को महाराष्ट्र समाज द्वारा आयोजित गणेशोत्सव के उपलक्ष्य में किया गया। यह हास्य नाटक वर्तमान परिवेश में उस युवा छात्र वर्ग पर केंद्रित है जो अपने ख़र्चों और इच्छाओं को पूरा करने की चाहत में कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। चाहे उन्हें यह सब हासिल करने के लिये अपराध ही क्यों ना करना पड़े। वे सही और गलत के बीच के अंतर को समझते हुए भी ऐसा करते जाते हैं।
दीपक इंजीनियरिंग का छात्र है लेकिन वह अपनी गर्लफ्रेंड़ इत्यादि के खर्चे पूरे करने के लिये अपने ही सीनियर के साथ मिलकर चोरी और चेन स्नैचिंग जैसे अपराध करता है। इस बार उसने एक सरकारी क्लर्क के घर पर चोरी की। कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब क्लर्क महोदय झूठमूठ बीस हजार रूपयों की चोरी को पचास हजार की बता देते हैं और यह ख़बर अख़बार वालों और पुलिस को दे देते हैं। अब तो चोर का साथी पचास हजार में से अपने हिस्से के लिये दीपक के पीछे पड़ जाता है। बेचारा दीपक अब क्या करे?
‘उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे’ कहावत को चरितार्थ करते हुए वह क्लर्क के घर पहुंच जाता है और उसे डाँटता है कि उसने बीस हजार रूपयों की चोरी को बढ़ाकर पचास हजार क्यों बताया और फिर विनती भी करता है कि घर मालिक उसके सीनियर को सच बता दे जिससे उसकी जान छूटे।
लेकिन उसी समय दरोगाजी वहाँ तफ़्तीश के लिये आ धमकते है और पहुँच जाती है क्लर्क की दबंग पत्नी पूजा। इन सभी तार्किक और संवेदनशील परिस्थितियों के चलते ज़बरदस्त हास्य संवादों से गुजरता हुआ नाटक आगे बढता जाता है। अन्त में दीपक को अपनी भूल का एहसास होता है और वह अपनी ग़लती को स्वीकार कर लेता है।
सयोंजक ने बताया कि जयवर्धन द्वारा लिखित नाटक का निर्देशन अश्फाक नूर खान पठान ने किया। कलाकारों में बाबु शर्मा के किरदार में अब्दुल मुबिन ख़ान पठान, अमर के किरदार में मोहम्मद रिज़वान मंसूरी, दीपक के किरदार मे श्लोक पिम्पलकर, दरोगाजी के किरदार में महेंद्र डांगी और पूजा के किरदार में रेखा सिसोदिया अपने अभिनय की छाप छोड़ी। नाटक का संगीत संचालन अखिल कुमार नायर ने किया। कलाकारों की वेशभूषा प्रियांगी कपूर एवं रेखा सिसोदिया और रूप सज्जा योगिता सिसोदिया द्वारा की गई। साथ ही इस नाट्य प्रस्तुति में अरुण जैन, अमित श्रीमाली, आयुष माहेश्वरी, सिद्धांत लाखन, शिवांश गौतम और राहुल अहारी का भी सहयोग प्राप्त हुआ।