उदयपुर। साध्वी श्रद्धांजना श्रीजी ने कहा कि प्रभु की अष्टकारी पूजा से हमें प्रभु से प्रीत करनी है। प्रभु से प्रीत करने से भक्त स्वयं परमात्मा बन जाता है।
वे शुक्रवार को भक्तामर महापूजन पर आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि अरिहंत भगवान की अष्टप्रकारी पूजा परमात्मा से मिलन का अवसर है। स्वयं के कर्मों का मैल दूर करें। इससे पूर्व शिवगंज से आए भक्त ने भक्तामर महापूजन करवाया और इस बारे में साधर्मिक जानकारी दी।
ट्रस्ट के प्रतापसिंह चेलावत ने बताया कि रविवार सुबह 8.30 बजे दादाबाड़ी सूरजपोल में अष्टप्रकारी पूजा होगी। इसमें भगवान की पूजा में काम आने वाली सामग्री भक्त अपने अपने घर से लाएंगे। इसमें दूध, पुष्प, अगरबत्ती, दीपक, चावल, मिठाई, फल इत्यादि का समावेश होता है। जोधपुर से विजय भाई सिंघवी अष्टप्रकारी पूजा करवाएंगे।
ईष्र्या के कारण दुखी होता है मनुष्य
आचार्य सोमसुन्दर सुरीश्वर महाराज ने कहा कि ईष्र्या के कारण मनुष्य दूसरों को सुखी देखकर स्वयं दुखी होता है। मनुष्य को दूसरों के गुणों को समझकर स्वयं गुणानुरागी होना चाहिए।
वे आज श्री शांति सोमचंद्र आराधना भवन में आयोजित धर्मसभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि श्रावक में लज्जा (मर्यादा) का गुण भी होना चाहिए। संघ अध्यक्ष सुशील बांठिया ने बताया कि आचार्य श्री की पावन निश्रा में तीन दिवसीय उत्सव रंग वधामण प्रभु भक्ति उत्सव शनिवार से प्रारम्भ होगा। शनिवार को पाश्र्वनाथ महापूजन होगा जिसके लाभार्थी पृथ्वीराज मारू परिवार होंगे। रविवार को भव्यातिभव्य स्नात्र महोत्सव जिसके लाभार्थी सुशील बांठिया होंगे। सोमवार को सत्तरभेदी पूजन होगा जिसके लाभार्थी गिरधारी सिंह भैरविया होंगे।