मूर्ति तस्करों से मिली मूर्तियों का मामला
उदयपुर। शहर पुलिस के हत्थे चढ़े मूर्ति तस्करों के पास मिली भगवान महावीर स्वामी की सैकड़ों वर्षों पुरानी मूर्ति बिहार की बताई जा रही है। जिले में सदियों पुराने कई मंदिर स्थित हैं, जिनमें वर्षों पूर्व जैन समाज की मूर्तियां स्थापित है। तस्करों के पास मिली मूर्ति पर भी सारण अंकित है। इसी कारण पुलिस ने इस बारे में सारण जिले में सूचना दे दी है।
उल्लेअखनीय है कि शहर भगवान महावीर स्वामी की पाषाण और अष्ट धातु की मूर्ति को बेचने की नीयत से घूम रहे युवकों की जानकारी पर पुलिस ने स्वयं खरीदार बनकर सम्पर्क साधा और इन युवकों को चार करोड़ में मूर्ति खरीदने के बहाने डाक बंगले पर बुलाया। आते ही स्पेशल टीम प्रभारी अब्दुल रहमान, हाथीपोल थानाधिकारी के नेतृत्व में सब इंस्पेक्टर पृथ्वी सिंह, कांस्टेबल शरीफ खान, मनोज कुमार, स्पेशल टीम के मोहम्मद सलीम खान, प्रहलाद, अखिलेश, गणेश, यशपाल व तेज सिंह ने इन युवकों की घेराबंदी दबोचा लिया और मूर्ति लेकर घूम रहे आदर्श नगर यूनिवर्सिटी रोड़ भूपालपुरा निवासी रोशनलाल पुत्र तुलसीराम मेघवाल, विकास पुत्र लालचंद राव और कोठारियों का मोहल्ला आयड़ भूपालपुरा निवासी जुगनू पुत्र गोविंदलाल भावसार को गिरफ्तार कर कार में सीट के नीचे छिपा कर रखी करीब एक फीट की 630 साल पुरानी अष्ट धातु की जैन मूर्ति बरामद की। आरोपियों ने बताया कि यह प्रतिमा उन्हें राजेश उर्फ राजू यादव ने उन्हें बेचने के लिए दी थी। पुलिस ने आरोपी राजेश को भी डिटेन कर पूछताछ शुरू कर दी है।
मूर्ति की जांच में पता चला कि उक्त मूर्ति पर प्राचीन भाषा में कुछ लिखा हुआ है जिसके लिए पुरा विशेषज्ञों को बुलाया गया। मूर्ति के नीचे की ओर स्पष्ट रूप से सारण लिखा हुआ है। पुलिस अधिकारियों ने इस आधार पर जांच की तो सामने आया कि बिहार में सारण नामक एक जिला है और इस जिले जैन समाज के सर्वाधिक मंदिर है और यह मंदिर सदियों पुराने हैं। इन मंदिरों में सदियों पुरानी जैन समाज के विभिन्न आराध्य देवों की सैंकड़ों वर्ष पुरानी अष्टधातु से बनी मूर्तियां स्थापित है। पुलिस के अनुसार आरोपियों से बरामद मूर्ति भी बिहार के इसी सारण जिले की होनी चाहिए। इसके लिए पुलिस ने बिहार पुलिस को सूचित कर दिया है।