खुशी मिली इतनी कि मन में न समाई
उदयपुर। कहने को तो निकटवर्ती भैसड़ा कलां पंचायत का आगडोडिय़ा गांव शहर से 22 किमी ही दूर है लेकिन वहां के राजकीय विद्यालय में पढऩे वाले बच्चों की हालत देखे तो विश्वास नहीं होता है कि ये विकास की धारा से इतने दूर है। शरीर पर मेले कुचैले कपड़े, बिखरे बाल, किसी के नंगे पैर तो किसी के पैरों में चप्पल।
यह स्थिति नन्हें 61 बच्चों की थी जो आज जैन सोश्यल ग्रुप उदय द्वारा सेवा दिवस के अवसर पर साईट सीन के आयोजित कार्यक्रम में उदयपुर भम्रण के लिए उदयपुर आये थे।
नन्हीं बालिका गंगा भील एंव नन्हा बालक चेतन गायरी ने बताया कि उन्हें उदयपुर में आ कर बहुत अच्छा लगा। उदयपुर में इन्होंने सुखाडि़य़ा सर्किल, फतहसागर, मोती मगरी, सहेलियों की बाड़ी सहित अनेक दर्शनीय स्थल देखें। इन बच्चों ने जीवन में पहली बार आगडोडिय़ा गांव से बाहर कोई शहर देखा है। विद्यालय की प्राचार्या विजयलक्ष्मी पोरवाल ने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व तक ये बच्चे आगडोडिय़ा गांव को ही भारत या राजस्थान के नाम से जानते थे, लेकिन 5 वर्षो में इन बच्चों में शिक्षा के स्तर को जो सुधार हुआ है उसकी झलक आज ग्रुप द्वरा वृन्दावन गार्डन्स में आयोजित एक समारोह में देखने को मिली। पोरवाल ने बताया कि इन बच्चों ने खेल के रूप में गांवों मे सिर्फ कन्चे, कबड्डी व खो-खो ही खेलें है। इसके अलावा उन्हें किसी भी खेल के बारें में कोई जानकारी नहीं है।
इन बच्चों में गंगा भील, उषा गायरी, हीरा मात्र साढ़े पांच वर्ष की बालिका चंदा ने जो राजस्थानी गीत ‘रंग-रंगीलो, छैल छबीलो..’ ‘हल चाले, हलवाड़ी चाले चाले और फावड़ो..’ एवं अंग्रेजी कविता की प्रस्तुति दी तो सभी सदस्यों के चेहरे पर खुशी तो आंखों में आश्चर्य दिखाई दे रहा था। यह संभव हुआ प्राचार्या विजयलक्ष्मी पोरवाल, शिक्षिका माधुरी वैष्णव एंव बाबूलाल वैष्णव के सहयोग से।
क्लब अध्यक्ष ऋषभ जैन, सचिव तरूण जैन, संस्थापक अध्यक्ष पंकज माण्डावत, कोषाध्यक्ष रविन्द्र पारख, कमलेश तलेसरा ने जिला कलेक्टर रोहित गुप्ता से प्रेरणा लेकर ग्रुप सदस्यों के बच्चों के हाथों उन सभी 61 बालक-बालिकाओं को स्कूल ड्रेस, स्कूल बैग, पाठ्य सामग्री, पाठ्य पुस्तक, वाटर वोटल, थाली, चम्मच, गिलास, पटाखे, नेपकिन, जूते, मोजे के अलावा खेल सामग्रियों में केरम, क्रिकेट, रिंग, डिस्क सहित अनेक खेल सामग्रियां भेंट कराई। प्रारम्भ में अध्यक्ष ऋषभ जैन ने सभी का स्वागत किया जबकि अन्त में तरूण जैन ने धन्यवाद दिया। संचालन हेमेन्द्र सेठ ने किया।