उदयपुर। सुखाडिया विष्वविद्यालय में पिछले 21 दिन से चल रहा असस्टिेंट प्रोफेसर्स का रिफ्रेशर कोर्स सोमवार का सम्पन्न हो गया। एमडीएस विश्वविद्यालय अजमेर के साझे में हुआ यह कोर्स विभिन्न प्रकार के नए षोध और नवाचारों को समर्पित रहा। पर्यावरण विषय पर केन्द्रित इस कोर्स में देष भर के 77 कालेज षिक्षकों ने षोध के विभिन्न पहलुओं को सीखा।
समापन समारोह के मुख्य वक्ता सुखाडिया विष्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो आर के राय ने ग्लोबल वार्मिंग जैसे ज्वलन्त विषय पर विस्तार से जानकारी दी तथा इससे जुडे हर पहलु के बारे में बताया। प्रो राय ने अंतरराष्ट््रीय स्तर पर प्रकाषित अपने षोध प्रबन्धों को असिस्टेंट प्रोफेसर्स के साथ साझा किया।
मुख्य अतिथि सुखाडिया विष्वविद्यालय के कुलपति प्रो आई वी त्रिवेदी ने कहा कि रिफ्रेषर कोर्स का आयोजन यहां होना हमारे लिए गर्व और उपलब्धि का विषय है। भविष्य में भी इस तरह के शोध आधारित कार्य होते रहेंगे, इसके प्रयास किए जाएंगे। मुख्य अतिथि एमडीएस विष्वविद्यालय अजमेर के कुलपति प्रो कैलाष सोढाणी ने कहा कि आने वाले समय में युद्ध में हथियारों का नहीं बल्कि ज्ञान का प्रयोग होगा। ज्ञान के जरिए ही हर तरह की लडाई जीती जा सकेगी। हम अपने ज्ञान को जितना प्रभावी और बेहतर बना सके वही हमारे लिए मील का पत्थर साबित होगा। इस अवसर पर कोटा विष्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो एमएस षर्मा तथा पृथ्वी विज्ञान के फेकल्टी चेयरमेन प्रो विनोद अग्रवाल ने भी विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर अतिथियों ने प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र एवं उपहार पुस्तकें वितरित की।
रिफ्रेषर कोर्स की समन्वयक तथा सुविवि में पर्यावरण अध्ययन विभाग की अध्यक्ष प्रो निधि राय ने इस कोर्स का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए 21 दिन का लेखा जोखा प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि पिछले सप्ताह सभी प्रतिभागी जयसमन्द यात्रा पर गए तथा वहां मेवाड के जल संसाधनों के साथ ही पारिस्थितिकी तन्त्र का बारीकी से अध्ययन किया तथा अपनी षोध रिपोर्ट बना कर प्रस्तुत की। इसके साथ ही वैकल्पिक तथा नवीकरण उर्जा के संसाधनों का भी अध्ययन किया तथा उनके भविष्य के इस्तेमालों को अपनी प्रस्तुतियों में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि पिछले 20 दिनों में 50 से अधिक वरिष्ठ प्रोफेसर्स ने इस कोर्स के दौरान विविध विषयों पर व्याख्यान दिए तथा संवाद व प्रतिभागियों से चर्चा के जरिए शोध के नए प्रतिमानों पर विमर्ष किया तथा अपने सम्बन्धित विषयों के प्रजेन्टेषन दिए। प्रतिभागियों में से डा श्रुति टंडन तथा डा महेष तिवारी ने अपने अनुभवों को साझा किया।