उदयपुर। राष्ट्रसंत प्रवर्तक श्री गणेश मुनि जी शास्त्री का आज दोपहर 12.33 बजे संथारे के साथ देवलोकगमन हो गया। उन्हें वरिष्ठ शिष्य उप प्रवर्तक काव्य तीर्थ श्री जिनेन्द्र मुनि जी मसा एवं महासती श्री मंगल ज्योती जी मसा ने संथारे के पच्चखाण कराये।
श्री अमर जैन साहित्य संस्थान के अध्यक्ष भंवर सेठ ने बताया कि श्री गणेश मुनि जी श्रमण संघ के वरिष्ठ संत थे। उनका जन्म संवत् 1989 फाल्गुन शुक्ला चतुर्दशी 21/03/1932 को ग्राम-करणपुर, तहसील-वल्लभनगर, उदयपुर में हुआ था जिनका बचपन का नाम शंकर था। पिता श्री लालचन्द पोरवाल एवं मातुश्री श्रीमती तीज कुंवर थी। उनकी मातुश्री ने भी दीक्षा ग्रहण की थी जिन्हें महासती श्री प्रेमकुंवरजी के नाम से जाना जाता था। गणेश मुनि ने अपने दीक्षा काल में राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली सहित अनेक शहरों में चातुर्मास किये जिनका अंतिम चातुर्मास वर्ष 2007 सूरत में था। उन्होने सभी विधाओं में लगभग 350 पुस्तकों का लेखन किया, उसमें शोध ग्रन्थ, कविता, कहानी, नाटक, उपन्यास है। वर्ष 1994 में आपको तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने राष्ट्रसंत की उपाधि से अलंकृत किया था।
गणेश मुनि की महाप्रयाण यात्रा सोमवार 9.30 बजे श्री अमर जैन साहित्य संस्थान, सेक्टर नं. 11, हिरणमगरी से प्रारम्भ होकर पटेल सर्कल, उदियापोल, सूरजपोल, दिल्लीगेट, कोर्ट चौराहा, तारक गुरू जैन ग्रन्थालय, शास्त्री सर्कल से आयड पुलिया, 100 फीट रोड से सेरेमनी गार्डन से होते हुए महिला थाने के सामने चित्रकुटनगर पंहुचेगी।