विद्यापीठ में सामाजिक विज्ञान में प्रबंध शोध प्रणाली पर राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन
उदयपुर। वर्तमान समय में रिसर्च के मापदंड तय करने की आवश्यठकता है, ताकि गुणवत्ता पूर्ण प्रबंधन को भी लागू किया जा सके। इसके लिए हमें पाश्चाआत्य देशों की तर्ज पर रिसर्च स्कॉलर्स को पढने ओर समझने के कंसेप्ट को लागू करना होगा। इससे शोध में गुणवत्ता आएगी।
यह बात बुधवार को महर्षि दयानंद सरस्वती विष्वविद्यालय के कुलपति प्रो कैलाष सोडाणी ने कही। अवसर था, राजस्थान विद्यापीठ के प्रबंध संकाय की ओर से आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीाय सम्मेलन के समापन का। उन्होंने कहा कि वर्तमान में रिसर्च स्कॉलर्स द्वारा शोध प्रणाली को तो अपनाया जाता है, लेकिन उसकी गंभीरता से दूरी हो जाती है। पाश्चा्त्य देशों में रिसर्च के हर पहलू पर गंभीरता से विचार किया जाता है तथा उसके बाद ही उसके निर्णयों का आंकलन किया जाता है। अध्यक्षता करते हुए विद्यापीठ के कुलाध्यक्ष प्रो. देवेंद्र जौहर ने कहा कि स्कॉलर्स को रिसर्च के साथ साथ प्रायौगिक ज्ञान पर जोर देना होगा। शोध करने से पहले अपने विशय की बारीकियां और उसके आने वाले इंपैक्ट को लेकर भी विचार करना होगा। सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में शोध करने वाले शोधार्थियों के लिए हर लिहाज से ज्यादा जरूरी हो जाता है, क्योंकि उनका शोध समाज विशेष के लिए किया जाता है। प्रबंध अध्ययन संकाय के निदेशक प्रो एनएस राव ने तीन दिवसीय इस राष्ट्री य कार्यशाला की विस्तत रिपोर्ट पेश की तथा अतिथियों द्वारा सेमिनार के प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र वितरित किए गए। संचालन डॉ हीना खान ने किया व धन्यवादा डॉ. शिल्पा कंठालिया ने ज्ञापित किया। डॉ. नीरू राठौड़, डॉ. भरत सुखवाल, डॉ. देवेंद्र आमेटा, डॉ. नवीन विश्नोीई, डॉ. बबिता रषिद सहित षोधार्थी आदि उपस्थित थे।