तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम द्वारा कॅरियर गाइडेन्स एवं काउंसलिंग पर सेमिनार
उदयपुर। जीवन में बच्चों के लिए कॅरियर बनाना एक चुनौतिपूर्ण कार्य होता जा रहा है। इसमें अभिभावक एवं छात्र दोनों ही उलझते जा रहे है लेकिन यदि छात्रों द्वारा लगन एवं मेहनत से शिक्षा अर्जन किया जाए तो यह कार्य और भी आसान हो जाता है। प्रत्येक विद्यार्थी को जीवन में इतनी मेहनत करनी चाहिये कि वे स्टोरी नहीं इतिहास बना सकें क्योंकि मेहनत का कोई शॉर्ट कट नहीं होता।
तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम द्वारा राजस्थान कृषि महाविद्यालय के सभागार में कॅरियर गाइडेन्स एवं काउन्सिलिंग पर आयोजित एक दिवसीय सेमिनार में उपस्थित 400 से अधिक विद्यार्थियों एवं अभिभावकों को वक्ताओं ने उपरोक्त बातें बतायी। एमके जैन क्लासेस के डॉ. एम.के.जैन ने बताया कि कॅरियर बनाना भी एक कला है। दुनिया स्टोरी पर नहीं इतिहास पर विश्वास करती है इसलिए बच्चों को भीड़ का हिस्सा बनने के बजाय भीड़ को अपना हिस्सा बनाना चाहिये। इतिहास गवाह है कि मेहनत करने से दुनिया बदलती है। एक बीज में सब कुछ बनने की क्षमता होती है लेकिन पेड़ में नहीं, इसलिए बालकों में वे सभी क्षमता होती है जो उसके कॅरियर को बनाने के लिए आवश्यक है लेकिन जरूरत है उसे सही राह दिखानें की।
वक्ता महेन्द्र सोजतिया ने बताया कि मेहनत कर कोई शार्टकट नहीं होता है क्योंकि कुछ पाने के लिए उससे कई गुना अधिक मेहनत करनी होती है। सीए परीक्षा पास करने के लिए दृढ निश्चय की आवश्यकता होती है। कॉमर्स क्षेत्र में 100-150 स्कॉप है जहंा विद्यार्थी उनमें अपना कॅरियर बना सकता है।
छोटी-छोटी चीजों के लिए समय बर्बाद न करें-चैन्नई से आये टीपीएफ के कॅरियर काउन्सिलिंग चेयरमेन दिनेश धोका ने बताया कि समय पर कॅरियर का प्लान नहीं करने से जीवन को सही दिशा नहीं मिल पाती है। बच्चें जीवन में इतने मजबूत बनें कि अपना हर निर्णय वे ले सकें। वर्तमान में ऑफबीट कॅरियर का प्रचलन काफी बढ़ा है।
गलती करें लेकिन उसे रिपीट न करें-सेमिनार के मुख्य अतिथि एवं तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के राष्ट्रीय अध्यक्ष सलिल लोढ़ा ने बताया कि बच्चों को ट्यूशन पर जाना एक कल्चर बन गया है। उन्होंने कहा कि जीवन में गलती हर इंसान से होती है लेकिन जीवन में उससे यह सबक अवश्य लें कि वहीं गलती दोबारा न हों तभी सफलता मिलेगी। बच्चों को फिजिकल गेम्स खेलने चाहिये ताकि शरीर स्वस्थ एवं तंदुरूस्त रह सकेंं।
बच्चों में तनाव खतरे का संकेत- मुनि सुधाकरश्री ने तनाव प्रबंधन कब, क्यों व कैसे विषय पर कहा कि जहंा खिचांव पैदा हो वहंा तनाव होता है। विद्यार्थियों में तनाव की जो मात्रा दी जा रही है वह वह उनके लिए खतरे का संकेत है। सकारात्मक सोच भी जीवन जीने की एक कला है। हर व्यक्ति को जीवन में आशावादी बनते हुए सकारात्मक सोच रखनी चाहिये। सफलता चाहिये तो कभी फल का आग्रह नहीं करें, असंतुलित जीवन शैली से बचें, जीवन को व्यवस्थित बनायें,प्रतिस्पर्धा करें लेकिन वह स्वस्थ करें। क्रिया कि प्रतिक्रिया करने से तनाव उत्पन्न होता है। इसलिए इससे बचें।
असफल होना ही हार नहीं-मुनि यशवंत कुमारश्री ने व्यक्तित्व विकास पर बच्चों से कहा कि जीवन में कुछ बनना है तो लक्ष्यों का निर्धारण करना चाहिये। अपनी रूचि को पहिचान कर उस दिशा में आगे बढऩा चाहिये। उन्होंने कहा कि यदि आपका निर्णय सही नहीं है तो आप आगे नहीं बढ़ पायेंगे। पुरूषाथ्ज्र्ञ करने पर ही सफलता मिलेगी। असफल होना ही हार नहीं है क्योंकि एक असफलता के पीछे 99 सफलताएं छिपी होती है।
प्रारम्भ में फोरम के उदयपुर चेप्टर के अध्यक्ष बी.पी.जैन ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि बच्चों के भीतर छिपी प्रतिभा एवं उर्जा को बाहर निकाल कर उसे सही दिशा में आगे बढ़ाना होगा। इस सेमिनार के आयोजन के पीछे मुख्य रूप से मुनि सुधाकरश्री का अहम योगदान रहा। उन्हीं की कल्पना को फोरम ने आगे बढ़ाया है। सेमिनार में फोरम के राष्ट्रीय सचिव पंकज ओस्तवाल ने कहा कि फोरम शीघ्र ही देश में 5 विश्वस्तरीय सुविधाओं से युक्त कॉलेज खोलेगा ताकि विद्यार्थियों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा मिल सकें। अंत में ऋषभ मेड़तवाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन फोरम के संभागीय अध्यक्ष डॉ. निर्मल कुणावत एवं मिनाक्षी जैन ने किया। सेमिनार के सफल आयोजन में फोरम के सचिव मुकेश बोहरा, उपाध्यक्ष निर्मल धाकड़, सिद्धान्त जैन का सहयोग रहा।