रोटरी क्लब उदयपुर द्वारा कोरनरी आर्टरी डिजि़ज व हाईपर टेन्शन के बारे में जागरूकता विषयक वार्ता
उदयपुर। हाथ, कोहनी,कंधे,जबड़े,पेट में दर्द आने पर कार्डियोलेाजिस्ट को अवश्य दिखाना चाहिये क्योंकि हार्टअटैक आने के लिए जरूरी नहीं कि दर्द सिर्फ सीने में ही आयें। यदि समय पर सचेत हुए तो ही आप हार्ट अटैक से बच सकते है।
यह कहना था महाराणा भूपाल सार्वजनिक चिकित्सालय के वेदान्ता कार्डियोलोजी हास्पीटल में कार्डियोलोजी यूनिट हेड एवं ह्दय रोग विशेषज्ञ डॉ.मुकेश शर्मा का, जो रोटरी क्लब उदयपुर द्वारा रोटरी बजाज भवन में कोरनरी आर्टरी डिजि़ज व हाईपर टेन्शन के बारें में जागरूकता विषय पर आयोजित वार्ता में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में ह्दय रोगी बहुत बढ़ गये है, ऐसे में चिकित्सकों द्वारा अब यह प्रयास किये जा रहे जहंा तक हो सकें रेागी की बाईपास सर्जरी को टाला जाएं। एंजियेाप्लास्टी के उपकरण पूर्व की तुलना में बहुत सस्ते हो गये है और लाईफ सेविंग बहुत होने लगी है।
यदि आपने आज स्मोकिंग शुरू की है तो उसे बंद करने के बाद उसका दुष्प्रभाव शरीर में पांच वर्ष बाद हार्ट को डेमेज करने की शुरूआत के रूप में दिखाई देगा। अन्य बीमारियों की भंाति हम मधुमेह व उच्च रक्तचाप को खाली नहीं छोड़ सकते है। हद्य को बचाने के लिए उन पर बराबर नजर रखनी होती है।
डॉ.शर्मा ने बताया कि क्लड प्रेशर सामान्य रहना चाहिये। जिसे एक बार ब्लड प्रेशर हो गया है, उसे नियमित जांच कराते रहना चाहिये क्योंकि उच्च रक्तचाप होने का सर्वाधिक असर गुर्दे पर पड़ता है। घर में आजकल डिजिटल ब्लड प्रेशर मापने की मशीनों का उपयोग होने लगा है। ऐसे में घ में मापा जाने वाल ब्लड प्रेशर 135-85 होना चाहिये।
उन्होंने बताया कि ह्दय की जांच के लिए तीन महत्वपूर्ण टेस्ट एन्डोथीनीयल डिसफंक्शन,कारोटिड आईउमटी एवं ईबीएसटी कराकर ह्दय की वास्तविक स्थिति का पता लगाया जा सकता है क्येांकि बीमारी अलग है और उसका र्ठलजा अलग है। ह्दय की आर्टरी में 10 प्रतिशत ब्लोकेज से भी हार्टअटैक आ सकता है। ह्दय रोग में एस्प्रिन एक कारगर दवा है और एक बार अटैक आने के बाद एस्प्रिन को बंद नहीं किया जाना चाहिये क्योंकि ऐसा करने से हार्टअटैक दुबारा होने की संभावना बढ़ जाती है। डॉ.शर्मा ने बताया कि हार्ट अटैक व ब्लोकेज में कोईं समानता नहीं है। दिल की गति अनियंत्रित होने पर रोगी की मृत्यु हो जाती है।
इस अवसर पर क्लब अध्यक्ष गजेन्द्र जोधावत,सुभाष सिंघवी ने भी अपने विचार रखें। प्रारम्भ में दर्शना सिंघवी ने ईश वंदना प्रस्तुत की जबकि अंत में सुभाष सिंघवी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।