152 वें मर्यादा महोत्सव में 17 चारित्रात्माओं ने की शिरकत
उदयपुर। श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के वरिष्ठ संत शासन श्री मुनि हर्षलाल ने कहा कि मर्यादा महोत्सव सारणा वारणा का प्रतीक है। यह हर्ष का विषय है कि आज ही उनका 71वां दीक्षा दिवस भी है। जहां गुरु के प्रति समर्पण होगा, वहां वात्सल्य भाव भी होगा।
वे श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा की ओर से रविवार को तेरापंथ भवन में आयोजित 152 वें मर्यादा महोत्सव के अवसर पर धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। समारोह इसलिए प्रमुख रहा कि महोत्सव में 17 साधु-साध्वियां मंच पर मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से संत-साध्वियों एवं श्रावक-श्राविकाओं को प्रोत्साहन मिलता है। उनके जीवन में उन्नति भी होती है।
शासन श्री मुनि रवीन्द्र कुमार ने संघ एवं संघपति के प्रति समर्पण विषय पर कहा कि संघ कभी नहीं बदलता, संघपति बदलते रहते हैं। हमारी निष्ठा संघ के प्रति होनी चाहिए। उसके बाद संघपति के प्रति निष्ठा रखें। मुनि प्रबोध कुमार ने कहा कि मर्यादा का महोत्सव हम क्यों मनाते हैं? यदि मर्यादा नहीं होगी तो साधु-श्रावक भटक जाएगा। मर्यादा महोत्सव से मर्यादाओं का निरंतर स्मरण होता रहेगा और उसकी अच्छी तरह पालना हो सकेगी। जिस तरह ओजोन परत के कारण पर्यावरण सुरक्षित है, ठीक उसी तरह मर्यादा के कारण ही जीवन सुरक्षित है।
मुनि तत्वरूचि ने कहा कि साधु-संतों का आध्यात्मिक मिलन एक अद्भुत नजारा होता है। तेरापंथ धर्मसंघ के 11 आचार्यों में से 10 आचार्यों ने मेवाड़ में उदयपुर की इस पावन धरती को स्पर्श किया है। उदयपुर ने कई सुश्रावक-श्राविकाएं भी दिए हैं। आचार्य भिक्षु तेरापंथ ही नहीं मर्यादाओं के भी निर्माता रहे हैं। आचार्य की आज्ञा के अनुरूप श्रावक-श्राविकाएं चलते हैं। गुटबाजी, दलबंदी से दूर रहते हैं। इतने बरसों बाद भी संघ अखण्ड इसीलिए है कि मर्यादाएं हैं। श्रद्धा, समर्पण, विवेक, संघ और संघपति के प्रति अटूट भावना रखने वाला ही सुश्रावक होता है।
साध्वी गुणमाला श्रीजी ने कहा कि विकास करना है तो आज्ञा, मर्यादा और अनुशासन की पालना आवश्यक है। आत्मा की निर्मलता, पवित्रता है। श्रावक-श्राविकाओं की निष्ठा अपने गुरु के प्रति समर्पित हो। आज तेरापंथ जितना आगे है, उसके अतीत में कई संत-मुनियों की मेहनत है। आचार्य भिक्षु की लकीरों पर चलते हुए आज हम यहां पहुंचे हैं।
मुनि यशवंत कुमार ने कहा कि श्रद्धा, समर्पण और अनुशासन का प्रतीक मर्यादा महोत्सव आज यहां हो रहा है। अगर जीवन में मर्यादा नहीं हो तो सब बेकार है। मर्यादा सिर्फ शक्ति संपन्न के लिए नहीं बल्कि सभी के लिए होती है। मर्यादा पत्र हम सभी का प्राण है।
साध्वी विशदप्रज्ञा श्रीजी ने कहा कि कोई भी काम होता है तो उसमें मर्यादा अपेक्षित होती है। तेरापंथ धर्मसंघ में 5 मर्यादाएं बनाई गई थीं जिनमें काल, समय और परिस्थिति के कारण परिवर्तन आया है। गुरु आज्ञा में चलना आदि मर्यादाएं ही हैं। इसमें संस्था को नहीं गुणोें को महत्व दिया जाता है।
इससे पूर्व सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने कहा कि मर्यादा के कारण ही तेरापंथ धर्मसंघ ने सिर्फ मेवाड़ या हिन्दुस्तान ही नहीं बल्कि देश-विदेशों तक पहचान बनाई है। आज किशनगंज-बिहार में मर्यादा महोत्सव हो रहा है। आज के दिन की सभी को बेसब्री से प्रतीक्षा रहती है। आचार्य प्रवर के आदेशों की प्रतीक्षा करते हैं कि उन्हें किस ओर विहार करना है।
तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष दीपक सिंघवी ने धर्मसभा में मौजूद श्रावक-श्राविकाओं को श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन कर संकल्प कराया।
साध्वी गुणमाला श्रीजी एवं साध्वी विशदप्रज्ञा श्रीजी के सिंघाड़े की साध्वीवृंदों ने सामूहिक गीतिका स्मार्ट सिटी में मर्यादा महोत्सव का नजारा प्रस्तुत की। प्रेक्षा बाबेल ने गीतिका प्रस्तुत की। संगीता बोर्दिया ने मधुर स्वर मंे गीतिका सुनाई। मंच पर मौजूद 17 चारित्रात्माओं में मुनि दिनकर, मुनि शांतिप्रिय, मुनि विनयरूचि शामिल थे।
कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुए तेरापंथी सभा के उपाध्यक्ष सुबोध दुग्गड़ ने कहा कि मुख्य कार्यक्रम मर्यादा महोत्सव का आयोजन किशनगंज (बिहार) में हो रहा है। इसका सीधा प्रसारण दोपहर में चैनल पर हुआ। आभार सभा मंत्री सूर्यप्रकाश मेहता ने व्यक्त किया। आरंभ में मंगलाचरण शशि चव्हाण समूह ने किया। तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्ष चन्द्रा बोहरा, सोनल सिंघवी, शशि चव्हाण, मिनी सिंघवी आदि ने सुंदर गीतिका प्रस्तुत कर भाव विभोर कर दिया।