वर्तमान में कार्मिक प्रबंधन में चुनौतियां एवं अवसर विषयक कार्यशाला
उदयपुर। वैश्विकता की भारत की आर्थिक नीति अपनाने के बाद भारत में उद्योगों तथा कलकारखानों का तीव्र विकास हुआ है। अधिक उत्पादन, लाभ कमाना व बाजार में प्रतिस्पर्द्धा का विस्तार होने के कारण श्रमिकों तथा कार्मिकों पर अत्यधिक दबाव व असंतोष रहता है, धीरे धीरे यह असंतोष हड़ताल, धरना, प्रदर्शन तथा कई बार हिंसक रूप ले लेता है।
ये विचार मंगलवार को राजस्थान विद्यापीठ के उदयपुर स्कूल ऑफ सोशल वर्क के सभागार में वर्तमान में कार्मिक प्रबंधन में चुनौतियां एवं अवसर विषयक कार्यशाला में टाटा मोटर्स लखनऊ के कार्मिक निदेशक मदन लाल मेघवाल ने मुख्य वक्ता के रूप में व्यरक्तक किए। उन्होने कहा कि कार्मिक प्रबंधन वर्तमान के प्रतिस्पर्द्धा युग में उद्योगों तथा कलकारखानों के अस्तित्व के लिये एवं विकास के लिए अतिआवष्यक हैं। कार्यषाला में कोका केाला गाजियाबाद के कार्यकारी अधिकारी अभिशेक नायर ने कहा कि वर्तमान में कार्मिक प्रबंधक के कार्यो व भूमिका पर छात्रों को बताया कि कार्मिक प्रबंधन का स्वरूप आज श्रमिक कल्याण तथा वैधानिक अनुपालनाओं को पुरा करने से की गई। वर्तमान में उद्योगों में कार्मिक प्रबंधन, एम्प्लोयी , एन्गेजमेंट, टेलेंट, एक्टिजिषन तथा परर्फोमेंष इम्प्रुवमेंट आदि पर ज्यादा ध्यान केन्द्रित किया जाने लगा हैं। निदेषक डॉ. मंजू मांडोत ने कहा कि मषीनीकरण के इस युग में प्रबंधन को मानवतावादी दृष्टिकोण रखते हुए कार्य सम्पादित करने होंगे। कार्यषाला का संयोजन डॉ. सुनील चौधरी ने किया जबकि धन्यवाद डॉ. नवल सिंह ने दिया। कार्यशाला में डॉ. अवनिश नागर, डॉ. सीता गुर्जर, कृष्णरकांत नाहर, देवीलाल गर्ग ने भी अपने विचार व्यक्त किए।