अलख नयन मंदिर के नए परिसर का उद्घाटन
उदयपुर। प्रसिद्ध कथावाचक संत मोरारी बापू ने कहा कि तीन चीजें देश भर में निशुल्क होनी चाहिए। स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्न, क्योंकि तीनों अमूल्य है। जब कोई इन तीन के अभाव के कारण नहीं मरेगा तो उस दिन हम अपने उद्देश्य में सफल होंगे। स्वास्थ्य का ऐसा ही एक काम यहां अलख नयन मंदिर कर रहा है।
वे गुरुवार को प्रतापनगर विस्तार स्थित अलख नयन मंदिर के नव परिसर के उद्घाटन समारोह को मुख्य अतिथि के रूप् में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि महात्मा भूरी बाई की प्रेरणा से किस तरह एक परिवार ने अपनी संपदा ट्रस्ट को अर्पित कर दी और आज सैकड़ों, हजारों मरीजों का निशुल्क उपचार कर रहा है। यह उस महात्मा की ही देन है। इस नेत्र चिकित्सालय को उस परम चेतना का आशीर्वाद प्राप्त है। प्रसिद्धि और अनुभूति दोनों अलग अलग है। महात्मा भूरी बाई प्रसिद्ध नहीं थीं लेकिन अनुभूत थीं। मेरी दृष्टि में भूरीबाई बुद्ध महिला थीं। ऐसे बुद्ध विद्वजनों को सपने नहीं आते लेकिन कभी न कभी चैतसिक अवस्था में उन्हें इसका आभास अवश्य हुआ होगा जिसकी प्रेरणा से उदयपुर में यह परिवार उनके नाम अलख नयन मंदिर से सेवा-सुश्रुषा कर रहा है।
उन्होंने अलख नयन मंदिर के बारे में गालिब का शेर उद्धृत करते हुए कहा कि मोहब्बत में दिल आज घबरा रहा है, क्योंकि तसव्वुर हकीकत हुआ जा रहा है, यू तो यहां से कोसों दूर है मदीना, लेकिन मदीना यहां से नजर आ रहा है। मंदिरों में भी प्रसाद बेचा जा रहा है। हर जगह व्यापारीकरण हुआ जा रहा है। मां की संस्था में तो काम होना चाहिए, बस देश की आत्मा नहीं खोनी चाहिए।
विशिष्ट अतिथि मेवाड़ राजघराने के अरविंदसिंह मेवाड़ ने कहा कि महात्मा भूरी बाई की अनुकम्पा परिवार पर हमेशा रही है और अनवरत रहेगी। ऐसे संत का इस मौके पर आना अवसर को और भी सुकूनदायक बनाता है। अलख नयन मंदिर के लिए यह चिकित्सालय व्यापार नहीं बल्कि सेवा भाव है।
इससे पूर्व विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा गठित विजन 2020 के निदेशक कर्नल देशपांडे ने कहा कि गांवों के स्वास्थ्य केन्द्रों के हालात से पता चलता है कि उस क्षेत्र की स्थिति क्या है। यही कारण है कि अलख नयन मंदिर गांव-गांव जाकर घर घर सर्वे करता है और अपना काम कर रहा है। जहां संत कृपा रहती है, वहां हमेशा कृपा बनी रहती है।
संस्थान निदेशक डॉ. लक्ष्मी झाला ने संस्थान के बारे में संक्षिप्त जानकारी देते हुए बताया कि टीचिंग एंड ट्रेनिंग के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि हम अभी टर्चरी लेवल पर हैं। उन्होंने बताया कि महात्मा भूरी बाई ने हमें रामायण पढऩा सिखाया। रामायण पढ़े, शायद उसी का परिणाम है कि आज यहां सेवा कर रहे हैं। आज यहां पहुंचने पर लगता है कि यह कामयाबी नहीं बल्कि कृपा ही है। जिन पर गुरु कृपा होती है, प्रभु स्वत: प्रसन्न हो जाते हैं। महात्मा भूरी बाई को उनके श्रद्धालुओं ने अलख नाम दिया था, उन्हीं के नाम पर यह संस्थान संचालित कर रहे हैं। अलख यानी सर्वज्ञान, परम दृष्टि।
संस्थान के संस्थापक निदेशक डॉ. हरिसिंह चुण्डावत स्वागत उद्बोधन में भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि आज यह मौका ही ऐसा है कि मेरे शब्दों का तालमेल गड़बड़ा गया है। भावुक नहीं होना चाहिए लेकिन चाहकर भी खुद को रोक नहीं पा रहा हूं। महात्मा भूरी बाई की कृपा रही, यही कारण है कि आज संत मोरारी बापू यहां पहुंचे हैं। मैं कितने भी प्रयास कर लेता लेकिन इन्हें नहीं बुला पाता। ये आज यहां आए हैं तो महात्मा की कृपा ही हुई है।
उन्होंने मिराज समूह के प्रबंध निदेशक मदन पालीवाल के प्रति विशेष कृतज्ञता जताई कि बापू को यहां ला पाए। कार्यक्रम में जोधपुर के सांसद गजेन्द्रसिंह, अलख नयन मंदिर के तकनीकी सलाहकार भगवानसिंह, सलाहकार बड़ौदा के लाल दवे आदि भी मंच पर मौजूद थे। आभार संस्थान के मेडिकल निदेशक डॉ. एलएल झाला ने व्यक्त किया। संचालन मीनाक्षी चुण्डावत ने किया। कार्यक्रम में मेवाड़ राजघराने से पद्मजा कुमारी मेवाड़ भी मौजूद रहीं।