एक्सटेन्डिग ऐक्सेस टू स्ट्रोक केयर फॉर ऑल विषय पर सेमिनार
उदयपुर। प्रतिवर्ष देश में 15 लाख लोग ब्रेन स्ट्रोक (मस्तिष्क पक्षाघात) के शिकार होते हैं और इनमें केवल पांच फीसदी मरीजों को ही समय पर इलाज मुहैया हो पाता है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि लोगों को बीमारी के प्रति जागरूकता की कमी है।
यह कहना है इण्डियन स्ट्रोक एसोसिएषन के अध्यक्ष एवं पीजीआई चण्डीगढ से आए डॉ. धीरज खुराणा का। ब्रेन स्ट्रोक पर 300 से ज्यादा रिसर्च पेपर लिखने वाले डॉ. खुराणा ने कहा कि इन 15 लाख लोगो में से 50 फीसदी मरीजों की मौत जागरूकता की कमी और समय पर उचित इलाज नहीं मिलना है। उन्होने कहा कि इनमें से प्रतिवर्ष में 25 से 45 वर्ष की आयु के लगभग 25 से 30 फीसदी युवा इस ब्रेन स्ट्रोक का शिकार होते हैं। इसका सबसे बडा कारण लाइफ स्टाइल का बदलना, नशे का आदी होना साथ ही अपने कैरियर को लेकर स्ट्रेस में आना और शारीरिक व्यायाम न करना मुख्य है। मस्तिष्क पक्षाघात के बेहतरीन इलाज के लिए हॉस्पीटलों में कोड सिस्टम होना चाहिए ताकि स्ट्रोक/लकवा के रोगी के हॉस्पीटल पहुंचने पर तुरन्त न्यूरोलॉजिस्ट, रेडियोलॉजिस्ट एव स्ट्रोक नर्स को रोगी के बारे में तुरन्त सुचना पहुंच सके जिससें की लकवा रोगी को उचित इलाज मुहैया कराते हुए अपंगता से बचाया जा सके।
डॉ. धीरज ने कहा कि पेसिफिक सेन्टर ऑफ न्यूरो सांइसेस उदयपुर ही नहीं बल्कि राजस्थान का ब्रेन स्ट्रोक (मस्तिष्क पक्षाघात) के इलाज के लिए बहुत अच्छा और आईएसए (इण्डियन स्ट्रोक एसोसिएशन) सर्टिफाइड सेन्टर है जहां पूरे देश में ब्रेन सर्जरी के साथ साथ इन्टरवेंशन एवं मस्तिष्क के रोगों से सम्बन्धित बेहतरीन चिकित्सा सुविधा किफायती दरों पर उपलब्ध कराई जा रही है।
वर्कशॉप के डायरेक्टर डॉ. अतुलाभ वाजपेयी ने बताया कि कार्यशाला में पीजीआई चण्डीगढ़ से डॉ. धीरज खुराणा एवं कोकिलाबेन धीरूभाई अम्बानी हॉस्पीटल मुम्बई से डॉ. अभिषेक श्रीवास्तव, एम्स नई दिल्ली से डॉ. सूर्यकुमार दुबे सहित संभाग, मध्यप्रदेश एवं गुजरात के लगभग 135 से ज्यादा चिकित्सकों ने भाग लिया। कोर्स का मुख्य उद्धेश्य जनजागृति अभियान के तहत लकवा (स्ट्रोक) की बीमारी के बारे में सही जानकारी का प्रचार एवं प्रसार करना एवं लोगों में फैली भ्रांतियों को दूर करना है।
इन विषयों पर भी मंथन : ब्रेन इमेजिंग विथ इफेसिस ऑन सीटी बेसड् टेक्नोलॉजी, ब्रेन इमेजिंग विथ इफेसिस ऑन स्ट्रोक एमआर बेस्डि टेक्नोलॉजी, रिसेन्ट एडवांस एण्ड फ्यूचर इन न्यूरो रिहेबिलिटेशन, इण्डोवेस्कूलर ट्रीटमेन्ट ऑफ ब्रेन एवीएम, क्रिटिकल केयर न्यूरोलॉजिकल इश्यूिज, एक्यूट स्ट्रोक मैनेजमेन्ट तथा ऐवीडेन्स बेस्डि सर्जीकल मैनेजमेन्ट ऑफ स्ट्रोक।