विरासत दिवस पर विद्यापीठ की गोष्ठी एवं रैली
उदयपुर। हमारी विरासत-हमारा गौरव, मेवाड़वासियों का कहना है – धरोहर हमें बचाना है, जहां जहां हम जायेंगे – धरोहर को बचायेंगे, मेवाड़ मनख री आन है-धरोहर हमारा प्राण है, सोये हुए को जगाना है धरोहर को बचाना है आदि नारो की तख्तियां अपने हाथों में लिए एवं नारे लगाते हुए धरोहर को बचाने के लिए जनचेतना रैली सोमवार को समोर बाग से निकाली गई।
महापौर चन्द्रसिंह कोठारी, राजस्थानन विद्यापीठ के रजिस्ट्रार प्रो. सीपी अग्रवाल, इतिहासविद् डॉ. देव कोठारी, डॉ. राजशेखर व्यास, डॉ. जीवनसिंह खरकवाल, वरिष्ठ पत्रकार उग्रसेन राव, विष्णु माली ने हरी झण्डी दिखाकर रैली को रवाना किया। रैली समोर बाग से पेलेस रोड, भटियानी चोहटा, जगदीश चोक, घंटाघर, जडियो की ओल, अमल का कांटा होते हुए गुलाब बाग स्थित नवलखा महल में सम्पन्न हुई। अवसर था विश्व धरोहर दिवस पर जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ की ओर से आयोजित रेली में प्रबुद्ध नागरिक, पुरातत्ववेता, इतिहासविद्, भू वैज्ञानिक, रंगकर्मी, साहित्यकार एवं उदयपुर शहर के विभिन्न संगठनों की भागीदारी रही।
विरासत संजोने की जरूरत : साहित्य संस्थान के निदेशक डॉ. जीवनसिंह खरकवाल ने बताया कि नवलखा महल सभागार में खुली चर्चा का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि इतिहासविद् डॉ. राजशेखर व्यास ने कहा कि विरासत एवं धरोहर का मतलब पुराने किले, खण्डहर हो चुके भवनों तक ही सीमित नहीं है। हमारी भाषा, हमारी संस्कृति, हमारा रहन सहन, साहित्य, लोक गीत, वन, नदियां, संयुक्त परिवार आदि भी विरासत के अभिन्न अंग है। विरासत संरक्षण को लेकर उन्होने कहा कि विरासत संरक्षण के लिए जनभागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। हाल ही में आबू रोड़ स्थित चन्द्रावती, जवासिया, छतरी खेड़ा, गिलुण्ड, ईसवाल में खुदाई का कार्य किया तथा वहां की सभ्यता एवं धरोहर का संरक्षण करने का कार्य कर रहा है। विशिष्टर अतिथि छगन लाल बोहरा ने कहा कि हमारे देश में विरासत ही है जो आज भी अपनी पहचान लिए हुए है। संयुक्त परिवार भी इस श्रेणी में आते हैं। संचालन डॉ. कुलशेखर व्यास ने किया जबकि धन्यवाद डॉ. केपी सिंह देवडा ने दिया।