कॉम्प्रिहेसिंव वूमन हैल्थ केयर पर वर्कशॉप
उदयपुर। पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पीटल के स्त्री एवं प्रसुति विभाग की ओर से क्राम्प्रिहेसिंव वूमन हेल्थ केयर-एडवांन्सेस 2016 पर वर्कशॉप शनिवार को हुई। विजिंग द गेप थीम पर आयोजित कार्यशाला का उदधाटन पेसिफिक मेडिकल विश्वगविद्यालय के वाइस चांसलर डॉ. डीपी अग्रवाल, पीएमसीएच के प्रिसिंपल एवं नियत्रंक डॉ. एस एस सुराणा, स्त्री एवं प्रसूति विभाग की अध्यक्ष एवं आयोजन सचिव डॉ. राजरानी शर्मा एवं गुजरात के अहमदाबाद से आए डॉ. अतुल मुंशी ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्जवलन करके किया।
डॉ. अतुल मुंशी ने बताया कि पूरे विष्वभर में सालाना पांच लाख 85 हजार महिलाओं की प्रसव के दौरान मौत हो जाती है जिसमें 99 फीसदी मौतें विकासशील एवं एक फीसदी विकसित देषों में होती है, जिनमें बीस फीसदी से ज्यादा मौते भारत में होती है। इनमें 35 फीसदी की मौत सामाजिक लोकलाज के चलतें डॉक्टर से गर्भावस्था के दौरान परामर्ष ने लेने के चलते एवं 50 फीसदी की अशिक्षा, अप्रिशिक्षित दाईयों एवं झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज कराने के कारण हो जाती है। उन्होंने कहा कि हाई रिस्क प्रिगनेंसी को अगर डॉक्टर जल्दी से पहचान (आईडेन्टीफाई) ले और तुरन्त उपचार शुरू कर दे तो मातृ मृत्यु दर को कम किया जा सकता है। डॉ. मुंशी ने कहा कि भारत में हर पांच मिनट में एक प्रसूता की मौत हो जाती है इसका सबसे बड़ा कारण समाज की नकारात्मकता, अशिक्षा, लिंग निर्धारण एवं समय पर हॉस्पीटल नहीं पहुंचना है। उन्होंने कहा कि भारत में अगर मातृ मृत्यु दर को कम करना है तो गर्भावस्था के दौरान समय समय पर डॉक्टर की सलाह ले एवं सरकार देश के ग्रामीण इलाको में ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा एवं समय पर उचित इलाज की सुविधा मुहैया कराए तो मातृ मृत्यु दर को कम किया जा सकता है। इसमें सम्पूर्ण महिला स्वास्थ्य एवं गर्भावस्था कें दौरान होने वाली जटिलताओं तथा उनके निदान पर गुजरात, मध्यप्रदेश एवं राजस्थान के विभिन्न जिलों के आए 150 से ज्यादा स्त्री रोग विशेषज्ञों ने विभिन्न पहलुओं पर मंथन किया।