श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा ने मनाया आचार्य तुलसी महाप्रयाण दिवस
उदयपुर। तेरापंथी साध्वी कीर्तिलता ठाणा-4 ने कहा कि आचार्य तुलसी के बारे में कुछ भी कहना सूर्य को दीया दिखाना है। वे युग पुरुष थे। उनका कोई न कोई करिश्माई व्यक्तित्व था। उनके शासन काल के बीस वर्ष हमने भी देखे। आज भी विश्वास नहीं होता कि वे हमारे बीच नहीं हैं।
वे रविवार को हिरणमगरी सेक्टर 11 स्थित महावीर जैन श्वेताम्बर समिति के महावीर भवन में आचार्य तुलसी के 20 वें महाप्रयाण दिवस पर आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि मृत्यु शाश्वत सत्य है। संत कबीर की वाणी आचार्य तुलसी पर सटीक बैठती है कि पैदा हुए तो हम रोए, जग हंसे-करनी ऐसी कर जा कि तू हंसे, जग रोए। आचार्य श्री ने अपने चार मंत्री बताए थे। विवेक शिक्षा मंत्री, साहस रक्षा मंत्री, पुरुषार्थ अर्थ मंत्री तथा आत्म चिंतन गृह मंत्री। जब भी कोई समस्या आती तो इन चारों से सलाह कर काम करते थे। वे कहते थे कि जो करे हमारा विरोध, हम समझें उसे विनोद। साध्वी शांतिलता ने कहा कि खुद जलकर संसार को आलोकित करने वाला कोई महापुरुष ही हो सकता है। संघ की जड़ों को निरंतर अपने अंतर अनुराग से उपर उठाया।
साध्वी श्रेष्ठप्रभा ने कहा कि जब तक आचार्य हमारे बीच थे तब तक उनके अवदानों की महत्ता लोगों को मालूम नहीं हुई लेकिन आज जब वे हमारे बीच नहीं हैं, तो उनकी महत्ता का पता चल गया। आज उनके संकल्प, अवदान हमें याद आते हैं। वे एक व्यक्ति नहीं बल्कि संपूर्ण गौरवपूर्ण संस्कृति थे। जो काम सरकारें नहीं कर सकीं, वे आचार्य की वाणी मात्र से हो गए। उन्होंने स्वयं का उदाहरण देते हुए कहा कि जब वे आईं तो उन्हें हिन्दी बोलना तक नहीं आता था। आचार्य श्री का आशीर्वाद मिला तो काया पलट हो गई।
साध्वी पूनम प्रभा ने ‘म्हानै पल पल तुलसी री याद सतावै‘ एक सुंदर गीतिका की प्रस्तुति दी। इसके बाद साध्वी शांतिलता, साध्वी पूनम प्रभा और साध्वी श्रेष्ठप्रभा ने मिलकर आचार्य श्री से देवलोक से सीधे साक्षात्कार करते हुए एक नाटिका प्रस्तुत की जिसमें आचार्य श्री ने देवलोक से नौ देवियों के हाथों अपना संदेश भेजा।
तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष दीपक सिंघवी ने कहा कि आचार्य श्री के 60 वर्ष पूर्व दिए गए अवदान आज भी प्रासंगिक हैं। 22 वर्ष में आचार्य पद संभालने के बाद 34 वर्ष की आयु में अणुव्रत के अवदान दिए।
सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने कहा कि आचार्य कालूगणी के देवलोक होने के बाद 22 वर्ष की अवस्था में आचार्य का पदभार संभालकर संघ को गरीब की झोंपड़ी से राष्ट्रपति भवन तक पहुंचाया। अणुव्रत, ज्ञानशाला जैसे अवदान दिए। आज अंधानुकरण की होड़ में कोई कुर्सी नहीं छोड़ना चाहता लेकिन सक्षम होने के बावजूद आचार्य तुलसी ने अपने शिष्य युवाचार्य महाप्रज्ञ को आचार्य पद की कुर्सी सौंप दी। त्याग का इससे बड़ा उदाहरण क्या हो सकता है?
तेरापंथी सभा के मंत्री सूर्यप्रकाश मेहता ने साध्वीवृंदों के आगामी कार्यक्रमों के बारे में बताया कि 20 जून को जीवनसिंह पोखरना, 21 को ताराचंद सिंघवी, 22 को प्रभाष-शशि चव्हाण, 23 को इन्दुबाला पोरवाल, 24 को प्रवीण-उषा चव्हाण, 25 को अशोक डोसी एवं 26 जून को मिश्रीलाल लोढ़ा के यहां प्रवास रहेगा।
कमल नाहटा ने दो पद्यों की अपनी छोटी गीतिका प्रस्तुत की। तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्ष चन्द्रा बोहरा, अणुव्रत समिति अध्यक्ष अरूण कोठारी ने विचार व्यक्त किए। आगाज शशि चव्हाण, चन्दा बोहरा, लक्ष्मी कोठारी, सोनल सिंघवी आदि के मंगलाचरण से हुआ। आभार सेक्टर 11 श्री जैन श्वेताम्बर महावीर समिति के मंत्री हिम्मतसिंह दलाल ने किया।