राजस्थान विद्यापीठ में देश भर के कुलपतियों की बैठक
उदयपुर। यूजीसी सदस्य प्रो. आई.एम. कपाही ने कहा कि शिक्षा का उपयोग समाज, राष्ट्र एवं विश्व के हित में होना चाहिए। उच्च शिक्षा के लिए नवीन पॉलीसी लानी होगी उसके साथ कोशल विकास को बढ़ावा देना होगा।
वे रविवार को जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय एवं ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ वाइस चांसलर एवं एकेडमिशियन्स नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में विश्वविद्यालय के प्रतापनगर स्थित कम्प्यूटर एण्ड आईटी सभागार में आयोजित ‘‘उच्च शिक्षा एवं कौशल विकास’’ पर एवं दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि हमें प्राथमिक स्तर से ही शिक्षा के साथ रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम शामिल कर करने होगे। आज हम देखते है कि जापान, उत्तरी कोरिया, चाईना सहित विश्व के अन्य देश अपने बजट का 15 प्रतिशत शिक्षा एवं कौशल विकास को बढावा देने पर खर्च करते है हमें इसी परम्परा को आगे बढ़ाना होगा। हमें कोई प्रोडेक्ट निर्माण से पहले सम्पूर्ण मनुष्य का निर्माण करना होगा।
मुख्य वक्ता प्रो. प्रेमा झा पूर्व कुलपति टीएम भागलपुर विवि ने कहा कि देश में खुल रहे विश्वविद्यालय की होड़ को बंद कर ग्रामीण स्तर पर छोटे कौशल विकास केन्द्र के व्यवसायिक सेंटर शुरू किये जाने चाहिए जिससे ग्रामीण एवं निचले स्तर का व्यक्ति अपने गांव में ही इस पाठ्यक्रम का चयन कर अपने रोजगार का साधन बना सकता है। जिला एवं तहसील स्तर पर आईटीआई, पोलोटेक्निक सेंटर, लेबोरेट्री टेªनिंग, घरेलु स्तर पर शोर्ट टर्म कोर्स जैसे बंधेज, सिलाई, वेल्डिंग, कारपेंटर, कठाई, बुनाई, समेकित कृषि, हार्डवेयर, पेरामेडिकल कॉलेज, केटरिंग कोर्सेस, बेसिक कम्प्यूटर, बागवानी, इंटीरियर डेकोरेशन आदि खोले जाने चाहिए।
अध्यक्षता करते हुए जयनारायण व्यास विवि के पूर्व कुलपति प्रो. लोकेश शेखावत ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि देश में बेरोजगारी को दूर करनी है तो शिक्षा के शुरूआती दौर से ही शिक्षा को रोजगार के साथ जोड़ कर युवाओं को अध्ययन कराना होगा। प्राचीन समय में क्षेत्र के आधार पर रोजगार को बढ़ावा दिया जाता था जैसे पापड़ बनाना, रंगाई, छपाई, सिलाई आदि ऐसे कई स्थानीय रोजगार थे लेकिन आज के परिप्रेक्ष्य में देश एवं विश्व को ध्यान में रखते हुए युवाओं के व्यक्तित्व में निखार लाना होगा इसी परिकल्पना को ध्यान में रखते हुए केन्द्र सरकार ने कौशल विकास नाम से नये मंत्रालय का गठन किया है जिसके द्वारा 600 से अधिक व्यवसाय होंगे जिससे छात्र अपनी रूचि के अनुसार चयन कर उस क्षेत्र में आगे बढ़ सकता है जिससे वह देश की मुख्य धारा एवं विकास में अपना भी योगदान दे सकता है।
संगोष्ठी के प्रारंभ में कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने देश भर से आये कुलपतियों का स्वागत करते हुए कहा कि देश के 60 प्रतिशत लोग असंगठित क्षेत्र में कार्य करते है तथा भारत की 65 प्रतिशत आबादी युवा है, भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और यहां सिर्फ 03 प्रतिशत लोग ही स्कील है यह देश के लिए चिंताजनक है जबकि साउथ कोरिया में 97 प्रतिशत आबादी स्कील है। उन्होने कहा कि हमारी पुरानी परम्पराओं को नवीन स्कील डपलपमेंट के साथ जोड़े जाने की आवश्यकता है जिससे दुनिया साथ कंधे से कंधा मिला कर चल सके।
संगोष्ठी में बीकानेर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर छीपा, प्रो. एसपी मिश्र कुलपति उत्तराखंड विवि, प्रो. एस. लोढा यूएसए, प्रो. बीएम बुजर बरूआ – कुलपति असम विवि जोरहाट, डॉ. राम अवतार शर्मा – शिक्षाविद् आगरा, प्रो. वीरेन्द्र नाथ पांडेय सेक्रेटरी जनरल एआईएवीसीए, एमअरआई विवि फरीदाबाद के कुलपति डॉ. एनसी बधवा ने विचार व्यक्त किए। संचालन डॉ. अमी राठौड़ एवं डॉ. देवेन्द्रा आमेटा ने किया जबकि धन्यवाद ऑल इंडिया वाइस चांसलर एंड एकेडिमिशन के सेक्रेटरी जनरल प्रो. बीएन पाण्डे्य ने दिया।
पुस्तक एवं वेबसाईट का लोकार्पण : सेमीनार में ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ वाइस चांसलर एकेडिमिशियन की वेब साईड एवं मेग्जीन का अतिथियों द्वारा लोकार्पण किया गया।