सामुहिक भागीदारी से विद्यापीठ को अग्रणी बनाने का संकल्प
उदयपुर। राजस्थान विद्यापीठ के संस्थापक शिक्षाविद साहित्यकार मनीषी प. जनार्दनराय नागर की 19 वीं पुण्यतिथि को विद्यापीठ के विभिन्न विभागों में उन्हें श्रद्धापूर्वक याद करके उनकी प्रतिमा पर पुष्पाजंली अर्पित की गई।
मुख्य कार्यक्रम प्रतापनगर स्थित प्रशासनिक भवन उनकी प्रतिमा को पुष्पाजंली एवं संगोष्ठी में मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने कहा कि मेवाड़ में शिक्षा का प्रचार-प्रसार एवं समाजसेवा में पं. नागर की महत्वपूर्ण भूमिका रही पं. नागर का अध्यात्म जीवन के अर्थ की व्याख्या करता है। हमारे देश के स्वाधीनता संग्राम में जिन साहित्यकारों ने जनता में नवजागरण की चेतना जगाकर अपनी देष भक्ति राष्ट्री य चेतना का अदम्य साहस का परिचय दिया उसमेंपंडित नागर का नाम उल्लेखनीय है। जनुभाई का व्यक्तित्व एवं कृतित्व हमेशा क्रांतिकारी एवं प्रेरक रहा, बचपन से ही उन्होंने घर में रूढ़ीवादी परम्पराओं को न केवल तोड़ बल्कि समाज में परिवर्तन के लिए निरन्तर प्रयास किया। विजय सिंह पथिक, माणिक्यलाल वर्मा एवं मोतीलाल तेजावत आदि स्वतंत्रता सेनानियों ने स्वतंत्रता संग्राम में अपने त्याग और बलिदान से मेवाड़ की कीर्ति को उज्ज्वलता प्रदान की है। उसी दौर में स्वतत्रंता की अलख जगाते हुए मेवाड़ के जन-जन की निरक्षरता का अंधकार दूर करने की जो तपस्या पं0 जनार्दनराय नागर ने की, उसे भुलाया नहीं जा सकता। अध्यक्षता कुलप्रमुख भंवरलाल गुर्जर ने की।