तेरापंथ भवन में प्रवचन
उदयपुर। साध्वी कीर्तिलता ने कहा कि भगवान महावीर ने चार गतियां बताई हैं जिनमें मनुष्य की गति सर्वश्रेष्ठ है। इसलिए कि आप यहां से मोक्ष को प्राप्त कर सकते हैं। आज व्यक्ति धन के मोह में सब कुछ भूल गया है। बड़े बड़े शहरों में तो बच्चे अपने पापा का मुंह देखने तक को तरस जाते हैं। सुबह स्कूल जाते समय पापा सोते रहते हैं और रात को पापा के आने के समय बच्चे सो जाते हैं। ऐसा जीवन भी किसी काम का नहीं है।
वे रविवार को अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में आयोजित चातुर्मासिक सभा को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि धन ही सब कुछ नहीं है। दुनिया के बड़े बड़े रईस जब मरे तो उनका जीवन बहुत बदहाल था। 56 कोटि युगों के मालिक भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय खुशी मनाने वाला और मृत्यु के समय कोई रोने वाला नहीं था।
साध्वी श्री ने कहा कि जीवन में लक्ष्य बनाकर चलें। लक्ष्य उंचा और अच्छा होगा तो किसी संकल्प के सहारे वहां तक पहुंच सकेंगे। पेड़ के पास दिशा है लेकिन गति नहीं, पशु के पास गति है लेकिन दिशा नहीं लेकिन मनुष्य के पास दिशा भी है और गति भी, जरूरत उसका सदुपयोग करने की है। पशु इंसान नहीं बन सकता है लेकिन इंसान कभी भी पशु बन सकता है। उन्होंने 29 अगस्त से आरंभ हो रहे पर्वाधिराज पर्यूषण के दिनों में होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी दी।
साध्वी शांतिलता ने कहा कि शरीर में तीन नाड़ियां होती हैं जिन्हें देखकर आयुर्वेद चिकित्सक बीमारी का पता लगा लेते हैं। वात, पित्त और कफ। इसी प्रकार रंगों का भी शरीर पर गहरा असर पड़ता है। तीन रंग हरा, नीला और लाल नाड़ियों को प्रभावित करते हैं। रंगों का प्रभाव शरीर को संतुलित करता है। यदि शरीर में लाल रंग की अधिकता है तो व्यक्ति दुबला पतला ही रहता है। नीले रंग की प्रधानता वाला व्यक्ति मोटा और स्वार्थी होगा। वैदिक संध्या में तीन रंग प्रधान नीला, लाल और सफेद होते हैं। मन के लिए दिमाग को और दिमाग के लिए रंगों के ध्यान को केन्द्रित करना होगा। साध्वी पूनम प्रभा ने गीतिका प्रस्तुत की वहीं साध्वी श्रेष्ठप्रभा ने प्रेक्षाध्यान के प्रयोग करवाए। सभाध्यक्ष सूर्यप्रकाश मेहता ने गत दिनों तेरापंथी महासभा के अधिवेशन में हुए पारित प्रस्ताव पढ़कर सुनाए। साथ ही कार्यकारिणी की भी घोषणा की। मंत्री राजेन्द्र बाबेल ने समाज सम्बन्धी सूचनाएं प्रदान की।