निराहार रहकर मनाया खाद्य संयम दिवस
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के पर्यूषण आरंभ
उदयपुर। साध्वी कीर्तिलता ठाणा-4 ने कहा कि पर्वाधिराज पर्यूषण आज से शुरू हो गए हैं। सिर्फ स्थानकों और घरों में ही नहीं, पर्यूषण का असर स्वयं के मन पर भी दिखना चाहिए और इसका पता दूसरों को भी लगना चाहिए कि वाकई में पर्यूषण का पालन कर रहे हैं। पर्यूषण अभय की साधना सिखाता है। यह पुरुषार्थ का आत्म जागरण का पर्व है। सीजन में अगर काम नहीं करेंगे तो फिर कब करेंगे, अभी पर्यूषण का सीजन है।
वे श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के मंगलवार से आरंभ हुए पर्वाधिराज पर्यूषण के पहले दिन धर्मसभा को संबोधित कर रही थीं। पहले दिन खाद्य संयम दिवस पर उन्होंने कहा कि संयम से खाना चाहिए असंयम से नहीं। मन की गांठें खोलें। तप, जप नहीं करेंगे तो गांठें नहीं खोल पाएंगे। जिस तरह ज्योतिष शास्त्र के अनुसार उत्तर दिशा देखते ही हमें मालूम चल जाता है कि यहां सप्तर्षि का वास है। इसी प्रकार जहां पर्यूषण है वहां जैन धर्म है। जहां जैन धर्म है, वहां पर्यूषण है। जीवन को सरस बनाना है तो कषाय समाप्त करने होंगे। क्रोध में मुंह बंद करें और आंखें खुल जाए तो मामला पलट भी सकता है। साध्वी शांतिलता ने कहा कि कषाय क्रोध, माया, मान और लोभ होते हैं। इन्हें समाप्त करने होंगे। साध्वी पूनमप्रभा एवं साध्वी श्रेष्ठप्रभा ने खाद्य संयम पर गीतिका प्रस्तुत की। सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं ने निराहार रहकर उपवास किए जिनके साध्वी कीर्तिलता ने प्रत्याख्यान कराए।
साध्वी पूनमप्रभा ने कहा कि भारतीय संस्कृति त्योहारी संस्कृति रही है। त्योहार न आए तो हरियाली और खुशहाली की कमी लगती है। त्योहार लौकिक और लोकोत्तर होते हैं। बाहर से जब खुद को सजाते हैं तो वे लौकिक त्योहार होते हैं। अंदरूनी रूप् से सजाने वाले त्योहार पर्यूषण कहलाते हैं। गांठें खोलने का पर्व पर्यूषण है। गन्ने में भी जहां गांठ होगी, वहां रस नहीं होगा। गांठ कैंसर का रूप् धारण करे, उससे पहले ही उसे खत्म कर दो। गांठ बनने ही मत दो। साध्वी श्रेष्ठप्रभा ने कहा कि संवत्सरी सात भाइयों की इकलौती बहन है। सोचें कि सात भाइयों की इकलौती बहन कितनी लाड़ वाली होगी। वर्ष में एक बार घर आने वाली बहन की हम कितनी खातिरदारी कर सकते हैं।
तेरापंथ सभाध्यक्ष सूर्यप्रकाश मेहता ने स्वागत करते हुए कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला। संचालन मंत्री राजेन्द्र कुमार बाबेल ने किया। कार्यक्रम का आरंभ साध्वी कीर्तिलता के नवकार मंत्र के उच्चारण से हुआ। तेरापंथी सभाध्यक्ष सूर्यप्रकाश मेहता ने बताया कि पर्यूषण पर्व में प्रतिदिन 9.15 से 11 बजे तक व्याख्यान होगा। इस दौरान प्रतिदिन तीन सामायिक, दो घंटे मौन, एक घंटा स्वाध्याय, नौ द्रव्यों से अधिक खाने का त्याग, जमीकंद का त्याग, ब्रह्चर्य का पालन, श्रमणोपासक साधना का पालन, जप में संभागी बनने, रात्रि भोजन का परित्याग तथा आधा घंटा ध्यान एवं एक घंटा जप प्रयोग किए जाएंगे।