उदयपुर। निकटवर्ती कैलाशपुरी के पास रामा गांव में भादवि बीज पर विशाल मेले का आयोजन हुआ। रात्रि जागरण के बाद सुबह रुणेचा वाले बाबा रामदेवजी की शोभायात्रा निकाली गयी जिसमें गांव से व आस पास के सैकड़ों लोगों ने भाग लिया।
ग्राम वासी गोपाल डांगी ने बताया कि शोभायात्रा सुबह 8 बजे से शुरू हुई जो गाजे बाजे के साथ गांव के विभिन्न मार्गों से होते हुए मंदिर तक पहुंची शोभायात्रा में लोग बाबा के भोजनो पर नाचते गाते चल रहे थे। दिन में गवरी नित्य का आयोजन हुआ जिसमें गवरी में आये कलाकारों ने अलग अलग नाचते व गाते हुए लोगों को हसा हसा कर कर लोट पोट कर दिया व लोगों ने भी इस आयोजन को बड़ी उत्साह से देखा।
गांव में यहां पर हर साल मेले के आयोजन पर गवरी नित्य का आयोजन किया जाता है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों की गवरी नित्य बना रहे व कलाकारों को भी प्रोत्साहन मिले। गांव के लोग एक दिन पहले ही अपने गाय भैसों के लिए चारा इखटा कर लेते हैं व खेतों का काम कर लेते हैं ताकि मेले के दिन पूरे दिन इस आयोजन का आनंद ले सके। गवरी नित्य के बाद शाम को 4 बजे से यहां पर विशाल भोजन प्रसादी का आयोजन हुआ जिसमें गांव के सभी समुदायों के लोग व गांव के आसपास से व मेहमान आऐ लोग भोजन प्रसाद किया। यह आयोजन 15 सालों से ज्यादा हो गया है जो हर साल भादवि बीज पर आयोजित होता है जो गांव के सभी समुदाय के लोग मिल कर इस आयोजन को पूरा करते हैं व एक सन्देश देते हैं कि हम सब एक हैं।
डांगी ने बताया कि गवरी नित्य को अब बड़ी बारीकी से समझने की जरूरत है क्यों कि यह एक बहुत पुरानी कला है जिसे कलाकार लोगों के समाने अलग अलग नाटक प्रस्तुत कर एक सन्देश देने की कोशिश करते हैं व लोगों को तनाव से दूर करते हुए हसाने का प्रयास करते हैं। कलाकार सभी देवी देवताओं को साथ रखते हुए एक कला का प्रदर्शन करते हैं। आज के इस आधुनिक दौर में लोगों को कुछ समय हंसा कर लाखों रुपये कलाकार ले लेते हैं परन्तु यह आदिवासी लोग बिना रुपये का स्वार्थ किये जो भी भेट पूजा में आता है लेकर सवा महीने तक खेलते हैं कलाकार व इनके परिवार वाले सवा महीने तक हरी सब्जियां नहीं खाते हैं व कई नियमों का पालन करते हुए सवा महीने तक अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। अब सरकारों को भी इन आदिवासि कलाकारों की ओर ध्यान देना चाहिए। जिससे गवरी खेलने वालों कलाकारों को एक प्रोत्साहन मिले। व अपनी राजस्थानी ग्रामीण कला जिवित रहे।