आत्म निरीक्षण का पर्व संवत्सरी : साध्वी कीर्तिलता
क्षमापना दिवस के रूप में मनाया संवत्सरी महापर्व, खमतखामणा आज
उदयपुर। साध्वी कीर्तिलता ठाणा-4 ने श्रावक-श्राविकाओं को संवत्सरी महापर्व पर कहा कि संवत्सरी महापर्व आत्म निरीक्षण का पर्व है। गत वर्ष में किए गए कार्यों का आत्मावलोकन करें तथा प्रतिक्रमण के अवसर पर गत वर्ष में आई राग-द्वेष ग्रंथि को समाप्त करें। संवत्सरी पर पांच हजार से अधिक श्रावक-श्राविकाओं ने निराहार रहकर उपवास किए।
बुधवार को खमतखामणा की जाएगी। संवत्सरी पर मंगलवार को श्रावक-श्राविकाओं की सुविधा के लिए बाहर चौक में बड़ी एलसीडी की व्यवस्था की गई ताकि उन्हें आराम से प्रवचन का लाभ मिल सके। वे श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा की ओर से अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में पर्यूषण के अंतिम दिन संवत्सरी महापर्व पर क्षमापना दिवस के रूप में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने चंदनबाला का पूर्ण वृतांत का श्रवण कराते हुए ऋजुबालिका नदी के नट पर भगवान महावीर के केवल्य ज्ञान का सुंदर वर्णन भी किया। केवल्य कल्याणक को देवताओं ने भी हर्षोल्लास से मनाया। उन्होंने कहा कि मृत्यु के समय यदि श्रावक क्रोध करता है तो उसे सर्प गति मिलती है। चंडकौशिक को इसलिए सर्प गति मिली। पर्यूषण का मतलब आत्मज्ञान-ध्यान में रहें। मन के घोड़े को सही दिशा में मोड़ें।
साध्वी श्रेष्ठप्रभा ने कहा कि कषायों को हल्का करें। संवत्सरी पर इस बार गर्मी है लेकिन अपने दिमाग को ठंडा रखें। एक-दूसरे को सहन करने की क्षमता एवं समता जरूरी है। जब तक ऐसा भाव नहीं होगा, तब तक विकास नहीं होगा। एक-दूसरे को क्षमा का भाव रखें। सिर्फ संवत्सरी पर ही नहीं वर्ष भर ही ऐसा भाव रखें। मन में गांठ नहीं बांधें। वैर भाव नहीं रखें। क्षमा करने की साधना में भी आगे बढ़ना है।
साध्वी शांतिलता एवं साध्वी पूनमप्रभा ने श्रावकों को मंगल पाथेय देते हुए कहा कि हम जिस रोज अपनी आत्मा के निकट रहते हैं तब पर्यूषण पर्व मनाया जाता हैं। पर्यूषण के आठ दिन एक साधना है, यज्ञ है। उन्होंने संवत्सरी महापर्व की महिमा का गुणगान करते हुए कहा कि संवत्सरी यानि 12 महीनों का एक दिन। संवत्सरी प्रेरणा देता है कि 12 महीनों में जो भी गलतियां की हैं, जो भी परिवर्तन हुए हैं उन्हें दूर करें। उन्होंने गणधर एवं आचार्य परम्परा की भी विस्तृत विवेचना की।
तेरापंथ सभाध्यक्ष सूर्यप्रकाश मेहता ने बताया कि संवत्सरी पर्व पर मंगलवार सुबह से तेरापंथ भवन में अलसुबह आरंभ हुई ज्ञान की गंगा दिन भर चलती रही। सुबह पौषध के अनुष्ठान हुए। दिन भर सामायिक करने वाले श्रावक-श्राविकाओं की खासी संख्या रही। मेहता, निवर्तमान अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत, महिला मंडल अध्यक्ष चन्द्रा बोहरा, संरक्षक शशि चव्वाण, तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष राकेश नाहर आदि ने आठ से अधिक तपस्या करने वाले श्रावक-श्राविकाओं को आध्यात्मिक मंगलकामनाएं प्रदान की।
मेहता ने बताया कि पांच हजार से अधिक श्रावकों ने पूर्ण निराहार रहकर उपवास किए। बुधवार सुबह सामूहिक रूप से खमत खामणा (क्षमा याचना) कर अपनी तपस्याओं का पारणा करेंगे। संचालन मंत्री राजेन्द्र कुमार बाबेल ने किया।
रात्रिकालीन स्पर्धाएं : तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष राकेश नाहर ने बताया कि गत रात्रि आध्यात्मिक फैंसी ड्रेस स्पर्धा का आयोजन हुआ। इसमें बच्चों ने महापुरुषों रानी लक्ष्मी बाई, महात्मा गांधी, सुभाषचन्द्र बोस, भगवान हनुमान, श्रवण कुमार, साधु-साध्वी के रूप धारण कर स्पर्धा में हिस्सा लिया। संचालन सचिव राजकुमार कच्छारा ने किया।
क्षमायाचना : सकल जैन समाज की प्रतिनिधि संस्था महावीर जैन परिषद के मुख्य संयोजक राजकुमार फत्तावत ने समस्त शहरवासियों से क्षमापना दिवस पर क्षमायाचना की है।