उदयपुर। लाइफ स्टाईल मेनेजमेन्ट गुरू डॉ. आनन्द गुप्ता ने कहा कि हर बीमारी का ईलाज दवा नहीं होता है। उसे विभिन्न प्रकार से ठीक किया जा सकता है। हर बीमारी का ईलाज हर चिकित्सा पद्धति में होता है। ईश्वर ने शरीर को इस प्रकार से संरचित किया है कि वह बहुत मेहनत से बीमार होता है।
वे रोटरी क्लब उदयपुर द्वारा रोटरी बजाज भवन में आयोजित लाइफ स्टाईल मेनेजमेन्ट वार्ता में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जहंा हम एक ओर मेलरिया, टाईफाईड,टीबी, वायरल बुखार को लेकर बहुत चितिंत होता है और उसका तुरन्त उपचार लेते है लेकिन हम उन बीमारियों डायबिटीज, तनाव, हार्टअटैक, लकवा के प्रति गंभीर नहीं है या इन बीमारियों के होने से पूर्व किसी प्रकार का बचाव नहीं करते है जिनके होने पर हमें ताउम्र दवाईयंा लेनी होती है।
डॉ. गुप्ता ने कहा कि यदि हमें स्वस्थ रहना है तो हमें प्रतिदिन घूमने के लिए 20 मिनिट घर से जाने व 20 मिनिट वापस घर पर आने में लगाने चाहिये। इसके अलावा प्रतिदिन प्रात: 7 बजे से लेकर शाम सात बजे तक नाश्ता, लंच एंव डीनर कर लेना चाहिये। शाम 7 बजे बाद किया जाने वाला डीनर शरीर के लिए लाभदायक नहीं होता है।
उन्होंने कहा कि ईश्वर ने वो हर चीज बनायी जो खाने लायक है,यदि वे इस लायक नहीं होती तो ईश्वर उन्हें बनाता ही नहीं। उन्होंने कहा कि सब खाओं लेकिन कम खाओं। उन्होंने कहा कि पूरे दिन उर्जा प्राप्त करने के लिये प्रात: भरपेट नाश्ता करना चाहिये। लंच सामान्य एवं डीनर सबसे कम लेना चाहिये जबकि हम प्रतिदिन इसका उल्टा करते आये है।
यदि हम ब्रेकफास्ट नहीं करते है तो हमारें भीतर रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम होती चली जाती है। उन्होंने कहा कि व्यायाम करने का कोई समय नहीं होता है जब उठे तभी व्यायाम करें। हर व्यक्ति के जीवन में तनाव होता है, लेकिन उसे प्रतिदिन कम करने का प्रयास करना चाहिये। उन्होंने बताया कि हर बीमारी पूर्ण रूप से शरीर से बाहर आने के लिए मनुष्य को अनेक बार संकेत देती है लेकिन मनुष्य उस संकेत को नजरअन्दाज करता रहता है और परिणाम वह बीमारी भयंकर रूप में सामने आती है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। बीमार न हो इसके लिए शारीरिक, मानसिक, धार्मिक एवं सामाजिक कार्य मनुष्य की लाइफ स्टाईल को मेनटेन करने सहायक होते है।
डॉ. गुप्ता ने बताया कि आम तौर पर करीब 90 प्रतिशत व्यक्ति डिनर करने के बाद टीवी देखकर सो जाते है और उस डिनर से मिलने वाली उर्जा शरीर में समायोजित नहीं होती है और उस कारण मोटापा बढ़ाता है। शरीर में जितनी भी चीजें खाद्य सामग्री के रूप में जाती है उसका बुरा असर सबसे पहले लीवर पर पड़ता है और उसके बाद ह्दय एवं बाद में मस्तिष्क पर पड़ता है।