विद्यापीठ में होम्योपैथी पर प्रथम अर्न्तराष्ट्रीय सेमीनार
उदयपुर। होम्योपैथिक अन्य चिकित्सा पद्धतियों से एकदम अलग है, यह सिर्फ रोग को नियन्त्रित नही करती बल्कि रोगी के मन में उठने वाले विचारों को भी नियन्त्रित करती है इस पद्धति से रोग को जड से निकालने पर कार्य किया जाता है।
इस चिकित्सा पद्धति के परिणाम आम जन में यह धारणा है कि उपचार धीरे-धीरे होता है लेकिन आज एलोपैथि की तरह होम्योपैथि मे भी तेज उपचार संभव हो गया है। ये विचार अर्न्तराष्ट्रीय स्पीकर डॉ फारूख जे मास्टर ने बतोर मुख्य वक्ता रविवार को जर्नादन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विवि के संघटक होम्योपैथिक चिकित्सा महाविद्यालय की और से आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमीनार लेटेस्ट एडवांसमेन्ट इन क्लिनिकल रिसर्च एण्ड फ्यूचर डायरेक्शन में व्यडक्तय किए। उन्होंने कहा कि होम्यौपैथी में मलेरिया, डेंगू चिकनगुनिया के उपचार में भी कारगर सिद्ध हो रही है। वर्तमान में प्रचलित अन्य चिकित्सा पद्धतियों की तर्ज पर होम्योपैथी द्वारा लकवा, कैंसर, अल्सर, एडस तथा कोमा में रहे रोगी गंभीर बीमारियों का उपचार किया जा रहा है। मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. एस एस सांरगदेवोत ने कहा कि होम्यौपैथी में नई शिक्षा तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है और उसमें सफलता भी मिल रही है। इसमें सभी गंभीर बीमारियों का इलाज है लोगो का इसमें विश्वास भी बढता जा रहा है। परन्तु आज होम्यौपैथिक चिकित्सा की भारतीय ग्रामीण परिवेश को अत्यन्त आवश्यकता है।
विशिष्ट अतिथि ग्लीस एकेडमी आफ होम्यौपैथिक के निदेशक जर्मनी के डॉ के एच जिपसर ने कहा कि होम्यौपैथि का जन्म जर्मनी में हुआ परन्तु आज वैश्विक परिदृश्य में होम्यौपैथिक चिकित्सा का आज भारत में तेजी से विस्तार हो रहा है तथा वैकल्पिक चिकित्सा के रूप में अपना स्थान बना रही है। होम्यौपैथी का सबसे बडा लाभ संपूर्ण स्वास्थ्य प्रदान करने की क्षमता का गुण है। होम्यौपैथी में औषधीयों का चयन बीमार व्यक्ति के शारिरिक मानसिक लक्षण व जीवन शैली को देखकर किया जाता है। विशिष्ट अतिथि भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के डिप्टी डायरेक्टर डॉ के एस सेठी ने कहा कि होम्यौपैथिक चिकित्सा में और अनुसंधान की आवश्यक्ता है छात्र छोटी छोटी तकनीक को सीख कर इस दिशा में अपना महत्वपूर्ण रोल अदा कर सकता है। होम्यौपैथी में विभिन्न विषयों में होम्यौपैथी चिकित्सा पद्धति ज्यादा कारगर हो रही है। संगीतकार कुमार चटर्जी ने संगीत थैरेपी के माध्यम से दुर्गा सप्तशती से बीमारियों के ईलाज के बारे में जानकारी प्रदान की। जर्मनी के डॉ हाईके ने भी अपने विचार व्यक्त किये प्रारम्भ में स्वागत उदबोधन आयोजन सचिव एवं प्राचार्य डॉ अमिय गोस्वामी ने दिया। संचालन डॉ बबीता रशीद एवं धन्यवाद की रस्म डॉ ऐजाज हुसैन ने अदा की।
अर्न्तराष्ट्रीय जनरल का विमोचन : सेमीनार में अतिथियों द्धारा होम्यौपैथिक के अर्न्तराष्ट्रीय जनरल का विमोचन किया गया। सेमीनार में बेकसन होम्यौपैथी द्वारा प्रथम द्वितीय व तृतीय छात्र छात्राओं को मेडल प्रदान किया।