राजस्थान संगीत नाटक अकादमी जोधपुर की बाल नाट्य कार्यशाला
उदयपुर। राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर के द्वारा आयोजित 20 दिवसीय प्रस्तुतिपरक बाल नाट्य कार्यशाला का समापन नाटक कल्याण की राहें के मंचन के साथ हुआ। संचालन नाट्यांश सोसायटी ऑफ ड्रामेटिक एण्ड परर्फोमिंग आर्ट्स ने किया।
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य बाल रंगमंच को बढावा देना था और साथ ही बच्चों में कला क्षैत्र की रुचि को बढावा देना था। इस कार्यशाला में सेंट एन्थोनी सीसै स्कूल के 12 छात्रा-छात्राओं ने भाग लिया। नाटक की कहानी ग्रामीण परिवेश की है जहां आज भी सभी समस्याओं का समाधान धार्मिक स्थल पर ही खोजा जाता हैं। आज हमने भले ही आधुनिकता का चोला ओड़ लिया हो लेकिन पुराने अंधविश्वासों और मान्यताओं से हम बाहर नहीं निकल पाए हैं। हम आज भी पूजापाठ और धर्मकाण्ड को ही जन कल्याण मानते हैं। परंतु सत्य यह है मानव की भलाई और उनका उत्थान ही असल धर्म होना चाहिए। नाटक राहें कल्याण की में यही बताया गया है कि किस तरह धनवान लोग कर्मकांड और पूजा-पाठ पर करोड़ों रुपए खर्च करके महान बन जाते हैं। मगर इस बात को नहीं समझते कि सच्चा धर्मए इंसान के लिए इंसान द्वारा किया गया कर्म है।
नाटक में सेठ जी पंडितों के कहने पर मंदिर का निर्माण कर 3 करोड़ का मुकुट धारण करवाते हैं। गांव के कुछ पढ़े-लिखे लोग कहते हैं कि ये पैसा मुकुट पर खर्च करने के बजाय गांव वालों के लिए अस्पताल या विद्यालय बनाने पर खर्च किया जाए। सेठ जी सब की बात अनसुनी कर मुकुट में ही पैसा लगा देते हैं। कुछ दिन बाद मुकुट चोरी हो जाता है तब सेठ जी पंडित को कोसते हैं। कुछ वक्त बाद उन्हें समझ आता है मंदिर और मुकुट मैं पैसा लगाने से किसी का फायदा नहीं है, क्योंकि जो मूर्ति अपने मुकुट की रक्षा नहीं कर सकती वो गांव वालों की रक्षा कैसे करेगी सेठ जी को सबक मिलता है और वह गांव वालों से वादा करते हैं कि वह अपना पैसा जनहित के कार्यो में लगाएंगे। एक ऐसी जगह का निर्माण करेंगे जहां सारे धर्म के लोग एक साथ बैठ सकें। अस्पताल और बच्चों के लिए विद्यालय का निर्माण करेंगे और इस तरह मानव कल्याण की राहें बनाएंगे।
कलाकारों में वेदी की भुमिका में पृथ्वी सिंह राठौड़, द्विवेदी की भुमिका में यशवर्द्धन सिंह, त्रिवेदी की भुमिका में प्रांशु अग्रवाल, चतुर्वेदी की भूमिका में सार्थक जैन, सेठजी की भूमिका में मंयक कुमार, सेठजी की बेटी की भुमिका में अक्षिताए पुलिस वाले की भुमिका में वरदान चित्तोड़ा और गांव वालों की भूमिका में नूपुर दिक्षित, हर्षिता देवड़ा, सृष्टि गर्ग, मेहकश शेख़ और आहना भाटी नें शानदार अभिनय किया। नाटक का संगीत निषाद पाण्डे का रहा। संचालन और नाटक का निर्देशन रेखा सिसोदिया ने किया। नाटक के लेखक महेश कुमार पँवार है। सह निर्देशक और स्क्रिप्ट इम्प्रोवाइजेशन अमित श्रीमाली का रहा।