हिन्दू अध्यात्म एवं सेवा संगम – 2016, सड़क पर पार्किंग नहीं होगी
उदयपुर। नवम्बर में उदयपुर के बीएन विश्वविद्यालय में होने वाले हिन्दू अध्यात्म एवं सेवा संगम – 2016 के मुख्य द्वार पर वनांचल की संस्कृति के दर्शन होंगे। संगम की कोर कमेटी ने दक्षिणी राजस्थान की माटी से जुड़ी महक को जन-जन तक पहुंचाने के लिए यह विचार किया है। प्रयास यह किया जाएगा कि मुख्य द्वार पर वनवासी संस्कृति के माण्डणों सहित टेराकोटा को भी जगह मिल सके।
यह जानकारी रविवार को सेवा संगम के प्रमुख कार्यकर्ताओं की बैठक के बाद संगम के अध्यक्ष विरेन्द्र डांगी ने दी। बीएन विश्वविद्यालय के सभागार में हुई वृहद तैयारी बैठक में पार्किंग को लेकर भी चर्चा हुई। इसमें जनता की सुविधा के मद्देनजर सड़क पर पार्किंग पूर्ण रूप से निषिद्ध रखने पर विचार बना। पार्किंग के लिए बीएन मैदान सहित, सेवाश्रम ओवरब्रिज के नीचे की जगह तय की गई है। साथ ही स्कूल बसों के लिए भी ऐसी जगह पर विचार किया जा रहा है जहां बच्चों को छोड़ने के बाद बसें ले जाकर खड़ी की जा सकें। संगम के कार्यकर्ताओं को पार्किंग की हर संभावना पर विचार करने को कहा गया है ताकि सड़क मार्ग अवरुद्ध न हो।
बैठक में संगम के सचिव हेमेन्द्र श्रीमाली ने चिकित्सा, फायरब्रिगेड, आपातकालीन सुविधाओं सहित विभिन्न जरूरतों के मद्देनजर योजना बताई। प्रबंध प्रमुख रमेश शुक्ला ने विभिन्न व्यवस्थाओं की जानकारी दी। बैठक में संगम की उपाध्यक्ष पुष्पा पारीख 8 नवम्बर को फतहसागर की पाल पर होने वाले वंदेमातरम् कार्यक्रम के संयोजक प्रदीप कुमावत, कोर कमेटी के सदस्य अजय गर्ग, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग कार्यवाह महेश आमेटा आदि भी उपस्थित थे।
कैनवास पर चल पड़ी कूंची : इधर सेवा संगम के तहत ही देवेन्द्र धाम में कला शिविर के दूसरे दिन कई कलाकारों ने कैनवास पर कूंची चलाई। मंगलम् आर्ट्स के सहयोग से चल रहे इस षडंग कला शिविर में रविवार को डॉ. राधाकृष्ण वशिष्ठ, ललित शर्मा, डॉ. विष्णु माली, छोटूलाल, जगदीश नंदवाना, कमल जोशी, मकबूल अहमद, यूनुस मोहम्मद, डॉ. कंचन राठौड़, डॉ. ललित मेहता, संदीप मेघवाल, तरुणा पालीवाल, हर्षा कुमावत, शाहिद परवेज, अमित सोलंकी आदि ने चित्राकृतियां बनाना शुरू किया।