राजस्थानी नाट्य समारोह
उदयपुर। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र और राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय राजस्थानी नाट्य समारोह के आखिरी दिन राजस्थानी नाटक बैराठ प्रसंग मंचित किया गया।
शिल्पग्राम के दर्पण सभागार में आयोजित इस समारोह में नई दिल्ली के दिनेश यादव द्वारा निर्देशित बैराठ प्रसंग का मंचन किया गया। इस संगीतमय प्रस्तुति में मेवात क्षेत्र की पारम्परिक कथा गायन शैली पाण्डुण के कड़े को आधार बनाया गया। वहीं इस नाट्य प्रस्तुति को तीन संगीत परम्पराओं में पिरोया गया। पाण्डुण के कड़े के कथा गायक कहानी का बखान करते हैं और दोहा धानी में कथा को गाते हैं, वहीं मांगणियार कलाकार कथा के प्रसंगों को गीत-संगीत व वाद्य यंत्रों की जुगलबंदी से विस्तार देते हैं। कथा की प्रस्तुति में एक जोगी कथा गायक है जो शिवजी का बिहाला के प्रसंग सुनाता है और महाभारत की कहानी को एक सूत्रधार के रूप में उसके एक आंतरिक प्रसंग के रूप में पिरोता है।
नाटक की शुरूआत जोगी कथा गायक के शिवजी के बिहाले से होती है जहाँ भगवान शिव के कैलाश में रहने का वर्णन है इस के बाद पाण्डुण के कड़े का पहला प्रसंग शुरू होता है। सदल्ला खां ने पाण्डुण के कड़े को लिखा और प्रस्तुत किया और कहानी शुरू होती है गांधारी और कुंती में एक मिट्टी के हाथी को लेकर हुई ईष्या से आग लेगाने में महाभारत के शुरुवाती प्रसंगों को समाहित करते हुए कहानी को लाक्ष्या गृह तक लेकर जाया जाता है। इसके बाद सूत्रधार कहानी को वनवास प्रसंग से लेकर जाते हुए पांडवों के अज्ञातवास में बैराठ में आने तक की कहानी को सुनाता है। इसके बाद मांगणियार कलाकार कीचक प्रसंग को नैनकटारी गाने के माध्यम से विस्तार देते हैं। कीचक वध नक्कारा और ढोलक की जुगलबंदी से दर्शकों के सामने आता है। कथा के चरम पर संवाहक चक्रव्यूह प्रसंग को स्वयं और दूसरे सात वाद्य यंत्रों की जुगल बंदी से प्रस्तुत करता है और कथा का अंत होता है।
कलाकारों में क्रमशः मगढ़नाथ-सूत्रधार और शिवजी की भूमिका में, देवू खान-संचालक/ कृष्ण के किरदार में गफरुद्दीन, आस मोहमद, मुबीन खान-पाण्डुण के कड़े कथा गायक, ढोलक पर यादराम, नक्कारे पर घनश्याम सिंह, खेता खान, भुट्टा खान, सवाई खां-मांगणियार गायक, ढोल पर बाबू खां, तंदूरा व भजन गायक भग्गा खां ने संगत की। कमायचे पर हाकम खां मांगणियार, ढोलक पर रोशन खां, बीन पर चुगा खां, जॉय मिताई, शिव प्रसाद गोंड इत्यादि शामिल हैं। प्रस्तुति में प्रकाश व्यवस्था और डिजाईन शरद खरे की थी।