पूरे देश के लिए सुखद समाचार कि अन्ना तिहाड़ से रिहा हो गए और रामलीला मैदान में उन्हें अनशन (कथित भूख हड़ताल) करने की जगह मिल गयी है. कोई यह नहीं सोच रहा है कि सुखद क्षण अभी नहीं आया है. वो तो उस समय आएगा जब सरकार जनलोकपाल विधेयक को लाने की मंजूरी देगी. अभी तो भूख हड़ताल करने के लिए सिर्फ जगह तय हुई है. अभी न जाने अन्ना को कितनी और परीक्षाओं से और गुजरना है. जिस प्रकार आज़ादी की लड़ाई में महात्मा गाँधी का सहयोग रहा, उसी प्रकार अन्ना के अनुसार आज़ादी की इस कथित दूसरी लड़ाई में क्या वे लोकनायक जयप्रकाश नारायण या महात्मा गाँधी का रूप ले पायेंगे? सरकार अन्ना की आंधी में रहेगी या बह जायेगी? सरकार का दिमाग यह ढूंढने में लगा है कि इस पूरे आंदोलन के पीछे किसका हाथ है. तीन दिन जेल में रहकर रिहा होने के बाद उनका तीन किलो वज़न घट गया. इसके बावजूद राम लीला मैदान जाते समय पुलिस के साथ दौड़कर जता दिया कि अभी दम बाकी है. अन्ना के समर्थन में पूरा देश आ चुका है. चाहे वह मायावती हों, मुलायमसिंह यादव हों या फिर भाजपा. भाजपा और आरएसएस भी खुलकर अन्ना के समर्थन में आ गयी है. आरएसएस प्रमुख श्री मोहन भागवत इस सम्बन्ध में अन्ना के समर्थन में बयान दे चुके हैं, वहीँ भाजपा के आव्हान पर आज उदयपुर बंद किया गया है. उदयपुर चेंबर ऑफ कोमर्स उदयपुर डिविज़न बंद को समर्थन दे रहा है, उसके अध्यक्ष भी भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता ही हैं. लेकिन इसकी क्या गारंटी है कि ये सभी दल आगामी चुनाव में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को सहयोग करने के नाम पर राजनीति के तवे पर अपनी रोटियां नहीं सकेंगे? अन्ना का अब तक का तो आंदोलन सिर्फ मात्र फिल्म का ट्रेलर कहा जा सकता है, पूरी फिल्म तो अभी बाकी है. अगले १५ दिन कैसे निकलेंगे. सरकार के रामलीला मैंदान में भूख हड़ताल को सशर्त मंजूरी देने को उसका अन्ना के सामने झुकना नहीं कहा जा सकता. वर्तमान परिस्थितियों के मद्देनज़र इसे आंशिक रूप से समझौता जरूर कह सकते हैं, अन्ना खुद भी जानते होंगे कि सरकार इस समय जो भी कर रही है, उससे वह सहमत होकर नहीं बल्कि किसी डर के मारे कर रही है. और यही असहमति अन्ना के आगे चुनौती भी है कि वे किस प्रकार आगामी १५ दिन में सरकार को तैयार कर पायेंगे.
गत तीन दिन से अन्ना समर्थकों ने जो विश्वास अन्ना पर दिखाया है, वो तो काबिल-ए-तारीफ़ है लेकिन क्या कोई भी यह संकल्प लेने को तैयार है की अब वे भ्रष्टाचार को जाने-अनजाने में भी सहयोग नहीं करेंगे. यह सहयोग हर उस रूप में हो सकता हैं, जब डॉ. के यहाँ लगी लाइन में अपनी जान-पहचान निकालकर उन्हें पहले दिखाने का हो या किसी भी कार्यालय में अपनी फाइल खिसकाने के लिए सुविधा शुल्क नहीं देना भी हो सकता है.
Sunil JI
Badahi ho Hindi samachaar ke iss portal kishakt jarurat thi ab usko popularize karna chayote youngsters isse juror padhenge ek hi din me 5000 hits honey me karoonga ye kaam…
Dr pradeep Kumawat
Nideshak
ALOK sansthan
सर शुक्रिया,
आप जानते हैं कि इस पोर्टल को शुरू करने में आपका कितना सहयोग रहा है. जिस तरह वर्षों से आपका स्नेह मिला है, विश्वास है कि आगे भी मिलेगा.