udaipur. समन्वित जलग्रहण प्रबन्धन सही मायने में ग्रामीण विकास एवं आजीविका की धुरी है। यह प्राकृतिक संसाधनों में होते बदलाव को रोकने के साथ—साथ उसके समुचित संरक्षण में भी पूर्ण सहायक है एवं वर्तमान में वातावरण बदलाव जैसे चिन्तित विषय को चुनौती देने में सक्षम योजना है।
ये विचार हिमाचल प्रदेश सरकार के ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज मंत्री जय राम ठाकुर ने महाराणा प्रताप प्रौद्योगिकी एवं कृषि विश्वविद्यालय के प्रौद्योगिकी एवं अभियांत्रिकी महाविद्यालय में हिमाचल प्रदेश के अधिकारी एवं जन प्रतिनिधि के प्रशिक्षण एवं क्षेत्र भ्रमण कार्यक्रम के समापन समारोह में रखे। ठाकुर ने बताया कि राजस्थान जलग्रहण विकास के क्षेत्र में अग्रणी राज्य है एवं इस भ्रमण का उद्देश्य इस राज्य के अनुभवों का लाभ हिमाचल प्रदेश में लिया जाना है।
अध्यक्षता करते हुए महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एस. एस. चहल ने कहा कि वर्तमान में विद्यमान कृषि भूमि एवं उपलब्ध जल का सही प्रबन्धन कर एवं वर्षा जल संरक्षण की विभिन्न तकनीकों को अपनाकर भूजल भरण करना अत्यन्त आवश्यक है। यदि कृषक जलसंरक्षण की महता को समझ पाये तो कृषि में और अधिक विकास करना संभव हो पायेगा।
कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश सरकार के तकनीकी विशेषज्ञ डॉ. एच.एस.राना ने प्रदेश में चल रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी। प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. पी.के. सिंह ने प्रशिक्षण में दिये गये विभिन्न प्रायोगिक एवं सैद्धान्तिक तकनीकी व्याख्यान एवं क्षेत्र भ्रमण की जानकारी दी। प्रारंभ में माननीय अतिथियों का स्वागत महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. नरेन्द्र एस. राठौड़ ने करते हुए बताया कि यह इस प्रकार का दूसरा प्रशिक्षण कार्यक्रम है एवं भविष्य में ऐसे अन्य कार्यक्रम आयोजित होने हैं। धन्यवाद डॉ. एस.आर. भाकर ने दिया। कार्यक्रम संचालन डॉ. हेमन्त मित्तल ने किया।