उदयपुर। आनंद मार्ग प्रचारक संघ का डायोसिस स्तरीय सेमिनार उदयपुर में टेकरी-मादरी रोड स्थित आनंद मार्ग जागृति में रविवार को संपन्न हुआ. सेमिनार में केंद्रीय प्रशिक्षक आचार्य सत्याश्रयानंद अवधूत ने शुक्रवार को सेमिनार का शुभारम्भ आनंदमूर्ति की प्रतिकृति पर माल्यार्पण और दीप प्रजव्वलन के साथ किया।
सेमिनार में उन्होंने आनंदमूर्ति द्वारा प्रदत तीन विषयों पर साधकों और प्रतिभागियों का ज्ञान वर्धन किया. प्रथम दिन उन्होंने सैद्धान्तिक तत्व और प्रयोगभौमिक तत्व पर संबोधित करते हुए बताया कि सैद्धान्तिक तत्व आदर्शवादों से भरा रहता है परन्तु उसका मुख्य लक्ष्य मानव समाज को दिग्भ्रमित कर निज स्वार्थ सिद्धि होता है. भंड मनस्तत्व (कपटपूर्ण विचार) ही इस संसार की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार हैं और बौद्धिक अमिताचार से विश्व को बचाना ही आध्यात्मिक साधकों का मूल कर्तव्य है।
द्वितीय दिन उन्होंने गुरु सकाश के व्यवहारिक और सैद्धान्तिक पक्ष पर अपना उद्बोधन दिया जिसके अन्तर्गत आध्यात्मिक साधकों को गुरु के मानसिक सानिध्य लाभ का अधिकाधिक प्रयोग कर जीवन में सफलता प्राप्त करने का रहस्य बताया. तृतीय दिन की शुरुआत प्रातः गुरु सकाश, पांचजन्य, ‘बाबा नाम केवलम’ अष्टाक्षरी सिद्ध महामंत्र के अखण्ड कीर्तन तथा धर्म चक्र के साथ हुई. तत्पश्चात उन्होंने वेद में ब्रह्म विज्ञान विषय पर परिचर्चा की और कहा की वेद ज्ञान की वह गंगा है जिसमे स्नान करके व्यष्टि समष्टि पावन हो जाता है. उन्होंने बताया की इस विश्व की समस्त चर और अचर वस्तुओं पर ब्रह्म भाव आरोपित कर प्रत्येक कार्य को ईश्वर के श्री चरणों में समर्पित करने से ही मुक्ति संभव है. रविवार को भुक्ति प्रधान डॉ. एस. के. वर्मा ने माइक्रोविटा का शरीर के विभिन्न अंत:स्त्रावी ग्रंथियों और चक्रों पर प्रभाव को विस्तार से बताया. रविवार को समापन कार्यक्रम में रविवार को समापन कार्यक्रम में प्रतिभागियों ने अपने विचार व्यक्त किये और भविष्य के विभिन्न जन-उपयोगी कार्यक्रमों की रुपरेखा तैयार कर उसको कार्यान्वित करने का संकल्प लिया.
सेमिनार में रीजनल सेक्रेटरी आचार्य शुभगतानंद अवधूत, डायोसिस सचिव आचार्य ललितकृष्णनंद अवधूत, महिला विभाग की केंद्रीय सचिव अवधूतिका आनंद चित्प्रभा आचार्या, और महिला डायोसिस सचिव अवधूतिका आनंद कृष्णा आचार्या के साथ ही भींडर, कानोड़, खेताखेड़ा, सलूम्बर, सुमेरपुर, आदि स्थानों से पधारे ५० साधकों ने भाग लिया.