ज्योतिष एव वास्तु शास्त्र की महत्ता पर मंथन
उदयपुर। भारतीय ज्योतिष परंपरा वैश्विक गृहों एवं पिण्डों की गति के आधार पर विचार प्रतिपादित करती है। वास्तु शास्त्र ज्योतिष शास्त्र का ही अंग है। बस फर्क इतना है कि मनुष्य इसके माध्यम से दिशा,देश पंचतत्व, गुरूत्वाकर्षण आदि शक्तियों का समायोजन कर गृह निर्माण की योजना बना सकता है इसकी गणना के आधार पर घर बनाना लाभप्रद होता है।
ये विचार जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने शुक्रवार को ज्योतिष एवं वास्तु विभाग की ओर से आयोजित सेमीनार में व्यजक्त् किए। मुख्य अतिथि जयपुर संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रो. विनोद कुमार शास्त्री ने ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्र की आधुनिक महत्ता के बारे में बताया कि ज्योतिष एक वैज्ञानिक घटना हैं। उन्होंने विशद वैदिक ज्ञान का भण्डार बताया और कहा कि ज्योतिष सिद्वांतों एवं गणनाओं पर आधारित विज्ञान हैं । वर्तमान परिदृश्य में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मानव जाति कई समस्याओं से ग्रस्त है। ऐसे कई विषय है जिसके कारण मानव सभ्यता का विकास अवरूद्व होता जा रहा है। भारत की वृहत्तर गौरवशाली परम्परा में ज्योतिष एक ऐसा विषयहै जिसके ज्ञान से मानव अपनी समस्याओं के समाधान के साथ-साथ जीवन को सरल एवं स्वस्थ बना सकता है। प्रारम्भ में विभागाघ्यक्ष डॉ. अलकनंदा शर्मा स्वागत उद्बोधन देते हुए ज्योतिष विज्ञान की सार्थकता को बताया। संचालन डॉ. अनिल शर्मा ने किया । सेमिनार मे शहर के ज्योतिषाचार्य शामिल हुए । प्रोफेसर आरपी नरायणीवाल डा सुरेन्द्र द्विवेदी , डा शक्ति कुमार शर्मा ने विचार व्यक्त किये।