आदिनाथ भवन में 9 दिवसीय सिद्धचक्र महामंडल विधान आरंभ
उदयपुर। भक्तामर वाले बाबा के नाम से प्रसिद्ध मुनि प्रणाम सागर ने कहा कि हर व्यक्ति यही सोचता है कि साधु तो बन नहीं सकता फिर सिद्ध कैसे बनें लेकिन अगर संतों की सन्निधि मिल जाए तो सिद्ध नहीं लेकिन प्रसिद्ध अवश्य बन सकते हैं।
वे रविवार को सेक्टर 11 स्थित आदिनाथ भवन में 9 दिवसीय सिद्धचक्र महामंडल विधान के शुभारंभ अवसर पर आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि फूल की भी इच्छा होती है कि कब तक अर्थियों पर चढ़ता रहूंगा लेकिन जिस दिन से बाहुबलि का आकार मिल गया उस दिन उसका भी पुण्य उदय हो जाता है। चाहे पानी की बूंद हो या अग्नि सभी का कभी न कभी पुण्योदय होता ही है। अपने कर्मों की निर्जरा के लिए कुष्ठ रोगियों को ठीक करने के लिए मैना सुंदरी ने पति के साथ सिद्धचक्र विधान किया। हम भी वही विधान करना चाहते हैं ताकि अपनी आत्मा का कल्याण कर सकें। उन्होंने कहा कि बच्चे आज तक एक जगह पर कभी नहीं बैठे लेकिन अगर 15 मिनट भी संतों के सान्निध्य में बैठ जाएं तो चलते फिरते महावीर बन सकते हैं। जैसा प्रभु को भोग चढ़ाओगे, वैसा ही मिलेगा।
अस इवसर पर मुनि श्री ने आज छोटे बच्चों को बुद्धि विकास हेतु एक मंत्र दिया व उनको रक्षा सूत्र अपने हाथों से प्रदान कर आशीर्वाद दिया। समारोह में बच्चों को सिद्धचक्र महामंडल विधान की महिमा बताई।
ट्रस्ट के अध्यक्ष अशोक शाह ने बताया कि इससे पूर्व 12 वर्षों बाद पुनः मुनि प्रणामसागर का आदिनाथ भवन में बैण्ड बाजे के साथ मंगल प्रवेश हुआ। इसके बाद ध्वजारोहण किया गया। प्रातः आदिनाथ मंदिर से श्रीजी को लेकर शोभायात्रा के साथ आदिनाथ भवन लाया गया, जहाँ मुनिश्री के सानिध्य में झंडारोहण हुआ व श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान का शुभारंभ हुआ। ट्रस्ट के महामंत्री मदनलाल देवड़ा ने बताया कि सकलिकरण, मंडप उदघाटन व अन्य विधि के साथ विधान की पूजन प्रारम्भ हुई। विधान पुन्यार्जक सुंदरलाल चित्तौड़ा परिवार ने अथितियों का स्वागत किया।