मरणोपरान्त नेत्रदान
उदयपुर। जीवन में कभी-कभी ऐसे क्षण भी आते है जब अचानक ऐसा समाचार मिलता है जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होती है। होली के दिन प्रातः सवा सात बजे ऐसा ही अनचाहा समाचार मिला जिसे सुनकर हर कोई हतप्रद रह गया।
पिछले लम्बे समय से योग गुरू, आयुर्वेद के ज्ञाता के रूप में अपनी पहिचान बनाने वाले जीवट व्यक्तित्व के धनी एवं मिलनसार 68 वर्षीय डॉ. सुन्दरलाल दक के निधन का समाचार मिला। 12 मार्च को रानी रोड़ स्थित श्मशान में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। गृहमंत्री गुलाबचन्द कटारिया सहित अनेक राजनेता, शिक्षाविद्, विभिन्न जैन सोश्यल ग्रुप के सदस्य, पत्रकार, विभिन्न योग गुरू मौजूद थे।
डॉ. दक ने आमजन को हर प्रकार की बीमारी से राहत दिलानें के लिए उन्होंने योगा एवं नेचुरोपैथी में डिग्री लेकर उनकी सेवा में जुट गये थे। 1975 में योग सेवा समिति की स्थापना कर योग के जरिये सभी को स्वस्थ रखने के लिए प्रतिदिन वे अम्बामाता स्थित योग सेवा समिति परिसर में प्रातः योग की कक्षाएं भी लगाते थे। लंदन में 35 दिवसीय योग शिविर लगाये जाने पर वहां उन्हें योग शिरोमणि अवार्ड से सम्मानित किया गया था। डॉ. दक दोपहर में महाकाल मन्दिर में भी आयुर्वेद चिकित्सा के माध्यम से रोगियों को राहत दिलाते थे।
35 वर्ष तक सेन्टपॅाल स्कूल में शिक्षक के रूप में अपनी सेवायें देने के बाद वर्ष 2009 में सेवानिवृत्त डॉ. दक की दैनदिनी दिनचर्या प्रातः 5 बजे प्रारम्भ हो जाती थी। तत्पश्चात व्यायाम करने एवं योग की कक्षाएं लगाने के बाद वे नेचुरोपैथी एवं आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से लोगों का इलाज करते थे। डॉ. दक के परिजनों ने उनकी मरणोपरान्त नेत्रदान कर नेत्रहीनों को रोशनी देने का मानवीय कर्तव्य निभाया।
सेवा निवृत्ति के बाद उन्होंने शहर के वरिष्ठजनों को प्रतिमाह एक स्थल पर एकत्रित कर उनका मनोरंजन करने एवं समय-समय पर जनोपयोगी जानकारी देने के लिए उन्होंने 5 दिसम्बर 2009 को वरिष्ठ नागरिक कल्याण समिति उमंग की स्थापना की। इस संस्था के प्रतिवर्ष स्थापना दिवस पर वे योग सेवा समिति परिसर में दो दिवसीय जड़ी-बूटी शिविर में अपने अभिन्न मित्र लुधियाना के वैद्य डॉ. बीआर तनेजा को बुलाकर विभिन्न प्रकार के जटिल से जटिल रोग के रोगियों का इलाज करवाते थे।
उन्होंने जैन सोश्यल ग्रुप उमंग की स्थापना कर इस ग्रुप से युवाओं को भी जोड़़ा। इस उम्र में उनकी कार्य करने की जिजिविशा देखकर युवा भी अनेक बार आश्चर्यचकित रह जाते थे। इसलिए उनकी कार्यप्रणाली का हर कोई कायल था। जरूरतमंदों की सेवा करने के लिए उन्होंने एसएल दक चेरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना भी की थी।
देश में विभिन्न स्थानों पर 25 से अधिक योग शिविर आयोजित करने वाले डॉ. दक के आकस्मिक निधन का समाचार जिसने भी सुना उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ क्योंकि 11 मार्च की रात्रि को वे सभी से मिलकर अपने घर लौटे थे। उस रात को वे सभी से हसते हुए मिलते रहे। 12 मार्च को प्रातः अचानक उन्हें उल्टी हुई और उन्हें निजी अस्पताल ले जाया गया और मात्र 35 मिनिट के दौरान उन्होंने अपने नश्वर शरीर को अलविदा कह दिया। वे अपने पीछे पत्नी, 2 पुत्र-पुत्रवधुएं, पुत्री-दामाद, पौत्र-पौत्रियों का भरा-पूरा परिवार छोड़ गये हैं।
वर्ष 2002 से लेकर अब तक डॉ. दक ने नेचुरौपैथी चिकित्सा पद्धति से करीब 30 हजार रोगियों का इलाज किया। जिला स्तर पर श्रेष्ठ शिक्षक सहित जीवन में विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं से अवार्ड प्राप्त किये।
डॉ. दक ने जीवन में 300 जवानों के लिए भी योग केम्प आयोजित किया था। आगामी 28 जून को अपनी शादी के 50 वर्ष पूर्ण करने वाले डॉ. दक अपने इस आयोजन के लिए सभी को पिछले 3 माह से न्यौता दे रहे थे लेकिन उनके आकस्मिक निधन ने सभी को चौंका दिया।