उदयपुर। माकपा शहर सचिव व पूर्व पार्षद राजेश सिंघवी ने मोदी सरकार द्वारा उदयपुर सिटी रेलवे स्टेशन सहित देश के 23 प्रमुख रेलवे स्टेशन को 45 वर्ष की लीज पर कम्पनियों को बेचने के निर्णय पर विरोध प्रकट करते हुए इस निर्णय उदयपुर की जनता के आत्मसम्मान पर चोट बताते हुए उदयपुर की जनता को इस निर्णय का विरोध करने का आव्हान किया।
सिंघवी ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा जो रेलवे स्टेशन नीलाम किये जा रहे हैं, वो देश की जनता के खून पसीने की कमाई से बनाई हुई सार्वजनिक सम्पत्ति है, जिसको बेचने का वादा करके मोदी सरकार ने चुनाव में जनता से वोट नहीं मांगे थे। उन्होंने कहा कि अगर रेलवे स्टेशनों को लीज पर कम्पनियों को बेच दिया गया तो जनता को टोल नाको जैसी निरन्तर लूट का शिकार जनता को होना पड़ेगा। सिंघवी ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा 23 महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों को 100-200 करोड़ रूपयों में नीलाम कर बेचा जाएगा, जिससे अधिक से अधिक 4-5 हजार करोड़ की रकम मिल जाएगी, जो रकम भी उंट के मूंह में जीरे जैसी होगी। सिंघवी ने कहा कि इस आंकडों को स्पष्ट है कि मोदी सरकार सिटी रेलवे स्टेशनों को बेचने के पीछे भारी भ्रष्टाचार कर जनता पर कहर ढाना चाहती है। उन्होंने कहा कि शहरों में सिर्फ रेलवे स्टेशनों के पास ही बहुमूल्य भूमियां बची है, उन्हें भी निहित स्वार्थो के वशीभूत खुर्द बुर्द करने का प्रयास किया जा रहा है। सिंघवी ने कहा कि केवल अयोग्य संतान को ही अपने बाप दादाओं की अर्जित की हुई सम्पत्ति को खुर्द बुर्द कर अपना घर चलाते हैं, जबकि योग्य संताने तो अपने बाप दादाओं की सम्पत्ति में वृद्धि करती है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार देश की सार्वजनिक सम्पत्तियों को निरन्तर बेचने व लीज पर देने के नाम पर भ्रष्ट व घोटालेबाज रईस मित्रों के हाथों किसी न किसी बहाने देश को सौंपते जा रहे हैं। मोदी सरकार के इस निर्णय से आम जनता का रेलवे स्टेशनों में प्रवेश करना और वहां पर यात्रियों का कोई चीज खरीदना महंगा हो जाएगा।