रिसर्च मेथोलॉजी पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला
उदयपुर। वर्तमान में आम जन का एलोपेथी के प्रति रूझान कम होता जा रहा है क्योंकि इस इलाज से व्यक्ति कई साईड रोगों से ग्रस्त होता जाता इसके विपरित होम्योपेथी चिकित्सा पद्धति जटिल रेागों के इलाज में कारगर है।
कई बीमारियां जहां एलोपैथी चिकित्सा पद्धति में काम करना बंद कर देती है वहॉ होम्योपेथी दवाओं से फायदा होता है। होम्योपेथी चिकित्सा में रोगी ठीक भी होता है और इसके शरीर में दुष्प्रभाव भी कम होते है। उक्त विचार गुरूवार को जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ के संघटक होम्योपेथी चिकित्सा महाविद्यालय की ओर से रिसर्च मेथोलॉजी पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में यूजीसी सदस्य डॉ. इन्द्र मोहन कपाई ने बतौर मुख्य अतिथि कही। अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि होम्योपेथी अन्य चिकित्सा पद्धति से एकदम अलग है। यह सिर्फ रोग को नियंत्रित ही नहीं करती बल्कि रोगी के मन में उठने वाले विचारों को भी नियंत्रित करती है। इस पद्धति में रोग को जड से निकाल फेकने पर काम होता है। यही कारण है कि इस चिकित्सा पद्धति के परिणाम धीरे लेकिन सटिक होते है। उन्होने कहा कि ग्रामीण एवं सुदूर गावों के आम जन को भी इसका लाभ मिले इसका प्रयास करना चाहिए। विशिष्ठ अतिथि सीसीआरएस के डिप्टी डायरेक्टर प्रो. अनील खुराना ने कहा कि अन्य देशो की भांति भारत में होम्योपेथी चिकित्सा के प्रति आम जन का रूझान बड रहा है। वैकल्पिक चिकित्सा के रूप में अपना स्थान बना रही है। होम्योपेथी में नई शिक्षा तकनीक के प्रयोग किए जा रहे है। इसमें जितने अधिक शोध होगे इतहे ही अधिक गुणवत्ता आयेगी। जितने अधिक शोध होंगे उतने ही अधिक इसके परिणाम भी होंगे। रिसोर्स पर्सन मुम्बई के विपिन जैन, डा. निलम कपाई, डॉ. शशि चितौडा, प्राचार्य डॉ. अमिया गोस्वामी, डॉ. बबीता रसीद, डॉ. अनिल ध्रूव, डॉ. राजन सूद ने भी अपने विचार व्यक्त किए। संचालन डॉ. बबीता रसीद ने किया जबकि धन्यवाद डॉ. अमिया गोस्वामी ने किया। तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में 08 राज्यों के 65 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।