दोनों मंदिरों के शिखरों पर कलश स्थापना
udaipur. कैलाशपुरी में स्थित प्रभु श्री एकलिंगनाथ जी के विश्वप्रसिद्ध मंदिर के समीप बाघेला तालाब के तट पर नागदाह पर्वत श्रेणी पर सैकड़ों वर्ष पूर्व खंडित हुए दो मंदिरों का श्रीएकलिंगजी ट्रस्ट ने पुनर्निर्माण किया है। इनमें से एक मंदिर खींमज माताजी का है जिसकी मूर्ति वर्षों पूर्व तस्करों द्वारा चुरा ली गई थी जिसे सरकार से प्राप्त कर पुन: सुसज्जित कर दी है।
इस मूर्ति की स्थापना विधि विधान अनुसार सोमवार को जीर्णोद्धार किए गए मंदिर में की गई। नागदाह पर्वत पर खींमज माता मंदिर के पास ही जीर्णोद्धार किए गए नीमच माताजी के मंदिर पर भी कलश स्थापना की गई।
प्रतिष्ठा महोत्सव एवं नवचंडी महायज्ञ : उक्त दोनों ही मंदिर के जीर्णोद्धार पश्चात सिटी पैलेस में रखी गई खींमज माता जी की मूर्ति को 9 मार्च को संपूर्ण साज-सज्जा कर सुसज्जित वाहनों के साथ पैलेस लवाजमे एवं पैलेस बैण्ड की धुन पर समारोहपूर्वक मंदिर तक ले जाया गया। जहां चार दिवसीय प्रतिष्ठा एवं नवचण्डी महायज्ञ के लिए नौ वेदियों पर 15 पंडितों ने पंडित जगदीश चन्द्र शास्त्री के निर्देशन में विधि विधान पूर्ण किए। सोमवार को दोनों ही मंदिरों पर कलश स्थापना के साथ खींमज माताजी की वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मूर्ति स्थापित की गई।
टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनेगा खींमज माता मंदिर : ट्रस्ट के मुताबिक नीमच एवं खींमज माता के मंदिरों के जीर्णोद्धार बाद उक्त स्थान धार्मिक स्थल के साथ ही टूरिस्ट डेस्टिनेशन बन जाएगा। एक हजार फीट उंचाई पर स्थित दोनों ही मंदिरों से बाघेला तालाब का मनोहारी दृश्य और साथ ही रामा गांव की रोड़, आसपास के खेत, हरी-भरी पहाडिय़ां एवं काफी संख्या में कलरव करते पक्षियों का विहंगम दृश्य सैलानियों को बारंबार आकर्षित करेगा।
कुलदेवी