उदयपुर। पेसिफिक विश्वविद्यालय के पॉलिटेक्निक महाविद्यालय के सिविल संकाय व मेकेनिकल संकाय के द्वितीय व तृतीय वर्ष के विद्याथियों को प्रौद्योगिक भ्रमण क्षेत्रीय रेल प्रशिक्षण संस्थान – उत्तर-पश्चिम रेलवे, उदयपुर में हुआ।
विभाग के एनडी गुप्ता (इंस्ट्रक्टर), रिषि व्यास (एमसीएफ), इन्द्रपुरी गोस्वामी (ईएसएम) ने रेलवे अभियांत्रिकी के बारे में विद्यार्थियों को भारतीय रेल के विशाल एवं तकनीकी रूप से जटिल तंत्र में गाड़ियों के सुचारू, दक्षतापुर्ण, सुरक्षित व ग्राहक मित्रवत संचालन के लक्ष्य के बारे में अवगत कराया। उन्होनें वर्तमान समय में रेलवे के विकास के बारे में जानकारी दी व पुराने समय मंे लोकोमोटिव (इंजन) किस प्रकार कार्य करता था और वर्तमान समय में लोकोमोटिव किस प्रकार कार्य करता हैं।
गुुप्ता ने बताया कि किस प्रकार लोकोमोटिव एक स्टेान से दूसरे स्टेान के बीच चलता हैं और कैसे लोकोमोटिव को स्टेशन के बीच सिग्नलों के द्वारा रोका जाता हैं। वर्तमान समय मंे लोकोमोटिव इलेक्ट्रीक प्रणाली से कार्य करता हैं। इस प्रणाली में लोकोमोटिव सिग्नलों के द्वारा ही संचालित होता हैं। इसमें किसी भी अन्य व्यक्ति की आवश्यकता नहीं होती हैं जबकि पुराने समय में लोकोमोटिव जिस प्रणाली पर कार्य करता था उसमें व्यक्तियों की आवश्यकता दोनों स्टेशन के बीच होती थी। लोकोमोटिव (इंजन) को रोकने के लिए कम्प्रैसिव एयर प्रैशर सिस्टम काम में लिया जाता हैं जिसमें हर डिब्बें में एक गैस सिलैण्डर लगा होता हैं जो कि आपस में जुड़ें हुए रहते हैं। लोकोमोटिव को शुरू होने के लिए पाँच कि.ग्रा. दाब की आवश्यकता होती हैं बिना पाँच कि.ग्रा. दाब के लोकोमोटिव अपनी जगह से नहीं हिलता हैं। लोकोमोटिव (इंजन) को रोकने के लिए 1 कि.ग्रा. दाब कम करना होता है तथा लोकोमोटिव (इंजन) को फिर से शुरू करने के लिए पुनः पॉच कि.ग्रा दाब की आवश्यकता होती हैं। वर्तमान समय में लोकोमोटिव (इंजन) की अनुमानित लागत 22 करोड़ रूपये होती हैं। इस प्रोद्योगिकी भ्रमण के द्वारा विद्यार्थियों ने रेलवे अभियांत्रिकी तथा लोकोमोटिव (इंजन) की कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी प्राप्त किया। यह औद्योगिक भ्रमण व्याख्याता नेतराम मीना, भरत शर्मा, हिमांशू विरवाल के निर्देशन मे किया गया।