विद्यापीठ द्वारा महाकवि माघ पुरस्कार की घोषणा
उदयपुर। जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ के साहित्य संस्थान में संस्कृत दिवस समारोह की अध्यक्षता करते हुए विद्यापीठ के कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत कहा कि संस्कृत अत्यंत प्राचीन एवं वज्ञानिक भाषा है। इसका अधिक से अधिक प्रचार प्रसार होना चाहिए। संस्कृत समस्त भाषाओं की जननी है।
भारतीय संस्कृति में नागरिको के निर्माण सद्धभावनाओं के प्रसार एवं विश्वशांति हेतु संस्कृत का अध्ययन एवं अध्यापन अवश्य होना चाहिए। उन्होने ने महाकवि माघ के नाम पर संस्कृत में उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रति वर्ष 21000 के पुरस्कार की घोषणा की। मुख्य अतिथि डॉ. भगवती शंकर व्यास ने कहा कि हमारे जीवन में ध्यान और योग अत्यन्त महत्वपूर्ण है यह हमे संस्कारवान बनाता है तथा इससे सभी को नियम से कारना चाहिये। संस्कृत साहित्य के पठन पाठन के लिए उन्होंने विद्यार्थियों को प्रतिवर्ष विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिता आयोजित करनी चाहिए। जिसमें निबन्ध, वाद-विवाद संस्कृत श्लोकपाठ आदि। विशिष्टि अतिथि डॉ. सुरेन्द्र द्विवेदी प्राचार्य निम्बार्क महाविद्यालय के ने कहा कि संस्कृत की उपादेयता पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए संस्कृत भाषा की विशेषताएं समझाई तथा 16 संस्कारों के रहस्यों को भी समझाया तथा सुझाव दिया की इन संस्कारों को वैदिक तरीके से ही किया जाना चाहिए। जिससे सभी देशवासियों का जीवन संस्कारवान निरामय बन सके। विशिष्ठ अतिथि के रूप व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कला, संगीत एवं पुरातत्व के मर्मज्ञ डॉ. राजशेखर व्यास ने संस्कृत की उपादेयता समझाते हुए यह स्पष्ट किया की ऋग्वेद और सामवेद में अन्तर को बताया। ऋग्वेद में भूमण्ड के विज्ञान को बताया। वही सामवेद में सूर्य मण्डल के बारे में बताया। इसी के साथ उन्होंने कहा की इस विज्ञान को नाशा ने खोज है। उन्होंने जोर देकर कहा की संस्कृत को पाठयक्रम में अनिवार्य रूप में जोड़ा जाना चाहिए। कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्थान निदेशक डॉ. जीवनसिंह खरकवाल साहित्य संस्थान में संस्कृत विषय में किये गये उत्कृष्ट शोध कार्यो पर प्रकाश डाला तथा संस्थान द्वारा संस्कृत विषय संबंधीत प्रकाशित ग्रंथों के बारे में बताया। संगोष्ठी का संचालन डॉ. कुलशेखर व्यास किया। डॉ. महेश आमेटा डॉ. वन्दना चौधरी ने भी अपने विचार व्यक्त किये। साथ ही इस अवसर पर संस्कृत श्लोक पाठ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें विभिन्न स्कूल के बच्चों ने भाग लिते हुए प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया। संगोष्ठी में रमेश प्रजापत, संगीता जैन, डॉ. के.पी सिंह, नारायण पालीवाल, शोयब कुरेशी,, आदि ने भाग लिया।