विदेश मंत्रालय एवं सहर का साझा आयोजन
10 देशों के नामचीन कलाकार बना रहे अद्भुत कलाकृतियां
उदयपुर। दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के सभी देशों से भारत के रिश्ते सदियों पुराने हैं। हमारी माटी की महक, अपनेपन और साझा सांस्कृतिक विरासत के ओर-छोर वहां और यहां ऐसे रचे-बसे हैं कि इन देशों के बीच फैले समंदर के पानी की तरह हमेशा उत्साह के साथ अपनेपन की हिलारें उठती रहती हैं।
आसियान के साथ हमारे वार्ता संबंधों की 25वीं वर्षगांठ का यह साल बहुत खास है और इसे अपनेपन के रंगों से रंग-बिरंगा बनाने के लिए झीलों की नगरी से ज्यादा खूबसूरत और कोई स्थान हो ही नहीं सकता। वैश्विक अभिव्यक्ति और वैचारिक आदान प्रदान के बीच वैचारिक रंगों से अपनेपन व दोस्ती के खूबसूरत आकाश रचने उदयपुर आए हैं आसियान के सभी 10 देशों के ख्यातनाम चुनींदा कलाकार।
यहां द अनंता में भारत सरकार के विदेश मंत्रालय और सहर के तत्वावधान में हो रहे इस ऐतिहासिक जश्न में ये कला चितेरे 21 सितंबर से अपनी सृजनधर्मिता को केनवास पर सजाने में लगे हैं, जो 29 सितम्बर तक उसे साकार रूप देंगे। कार्यशाला की खासियत है कि यहां मन है आसियान का, आबोहवा हिन्दुस्तान की और सोच के आकाश हैं वैश्विकता के रंगों में रंगे हुए। कला के जरिए वार्ता संबंधों की प्रगाढता व उसके महत्व को दिखाने व उन सबके बीच बहुत विनम्रता से अपनी मौलिकता का संदेश देने के इस अनूठे आयोजन में आसियान के सदस्य देशों इंडोनेशिया, सिंगापुर, फिलिपींस, मलेशिया, ब्रुनेई, थाईलैंड, कंबोडिया, लाओ पीडीआर, म्यांमार और वियतनाम के आर्टिस्ट आए हैं। उन्हें साथ मिला है देश के ऐसे नामी, दिग्गज चित्रकारों का जो खुद अपने आप में नव सृजन व नई विधाओं के अगुआ कहे जाते हैं। इधर, कूंची से रंग भरे जा रहे हैं तो उधर दोस्ती के नए छंद गढे जा रहे हैं। वैचारिक आदान-प्रदान के कई सत्रों में सभी कलाकारों ने खुलकर अपने मन की बातों व अनुभव के निर्मल निर्झर को कलकल बहा कर सबको मंत्रमुग्ध किया है तो इसी बहाने सभी देशों के बीच के मैत्री संबंधों को नए आयाम दिए हैं।
नामचीन चित्रकार बिखेर रहे है रंग : अपनी सृजन साधना के शिखर पर विराजे चैन सोपहॉर्न (कंबोडिया), इकरो अखमद इब्राहिम लैली सुब्खी (इंडोनेशिया), कान्हा सिकोउनावोंग (लाओ पीडीआर), मोहम्मद शहरूल हिशाम बी. अहमद तरमीजी (मलेशिया), थेट नाइंग (म्यांमार), नाफाफोंग कुराए (थाईलैंड) और गुएन घिया फु ओंग (वियतनाम), भारतीय कलाकार बिनॉय वर्गीस दिल्ली, फरहाद हुसैन दिल्ली, कलाम पटुआ कोलकाता, कियोमी मुम्बई, लाइश्राम मीना देवी मणिपुर, बीकानेर से महावीर स्वामी, समींद्रनाथ मजूमदार कोलकाता और तन्मय समांता दिल्ली सांस्कृतिक संबंधों की ऐतिहासिक अभिव्यक्ति कर रहे हैं। इन्हें सान्निध्य मिला मेंटोर तमिलनाडू के हर्षवर्धन स्वामीनाथन, मुंबई के प्रभाकर कोल्टे व शांति निकेतन के सौमिक नंदी मजूमदार का।
सर्वश्रेष्ठ 20 पेंटिंग्स की लगेगी विशेष प्रदर्शनी : सभी कलाकारों ने उदयपुर के शांत, सुकून भरे माहौल में गहरे सांस्कृतिक संबंध को दर्शाने वाली शानदार कलाकृतियों का निर्माण किया है। कलाकार मौन है मगर हर तस्वीर रिश्तों की गर्माहट को बयां कर रही है। इस सांस्कृतिक संगम में बनायी गयी 20 पेंटिग्स के कलेक्शन की विशेष प्रदर्शनी नई दिल्ली में लगेगी जिसका उद्घाटन जनवरी 2018 में होने वाली आशियान भारत सम्मेलन के दौरान माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी करेंगे।
ओशियंस ऑफ अपार्च्यूनिटीज : सहर के फेस्टिवल डायरेक्टर संजीव भार्गव ने बताया कि यह आयोजन ‘ओशियंस ऑफ अपार्च्यूनिटीज’ थीम पर आधारित है जो करीब 2000 वर्षों से दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के साथ भारतीय सभ्यता व संस्कृति के रिश्ते को दर्शाता है। आसियान और भारत हमेशा एक-दूसरे के लिए सहयोग व विश्वास के स्तंभ रहे हैं। आज वे संपूर्ण विकास की राह पर कदम से कदम मिला कर चल रहे हैं। यह हमारे देश की ‘लुक इस्ट पॉलिसी’ का ‘पीपल टू पीपल कांटेक्ट थ्रू कल्चर’ इनिशिएटिव भी है। कला प्रारूपों की बेहद समृद्ध धरोहर और परंपरा से भरपूर आसियान देशों के विजुअल कलाकारों का एक साथ आना बहुत ही खास मौका है।
थीम एक-रूप अनेक : पहली बार कलाकार एक मंच पर आकर प्रतिभा के धनी भारतीय कलाकारों के साथ काम कर रहे हैं, एक ही थीम पर पेंटिंग बना रहे हैं। यह झीलों की नगरी के लिए असाधारण अवसर है। आसियान-भारत शिविर में कंटेंपररी, मॉर्डन ट्रेडिशनल, इंप्रेशनिस्ट की पृष्ठभूमि से आने वाले कलाकार एक-दूसरे के साथ बातचीत कर रहे हैं, साथ रहकर ऐसी रचनाएं कर रहे हैं जो साझा संस्कृतियों के मिलन को दर्शा रही हैं। इस दौरान प्रतिभागियों को भी अंतरसंकाय आदान-प्रदान का अवसर मिल रहा है। आसियान देशों और भारत के मूल्यों व परंपराओं की गहरी समझ और जागरूकता को बढावा देने के पीछे इस कैंप का उद्देश्य प्रतिभागियों को उनके देश व शहरों में लौटने पर उन्हें आसियान और भारत का सांस्कृतिक एंबेसडर बनाना है।
साझी विरासत का धनी भारत है अद्भुत देश : कंबोडिया से आए आर्टिस्ट चौन सोपहॉर्न कहते हैं कि हमारे देश के भारत से रिश्ते 2000 साल पुराने हैं। भारत आकर लगा कि यहां की नदिया, पहाड, प्राकृतिक परिवेश और आबोहवा सब कुछ तो हमारे जैसा ही है। बोलियों में फर्क है मगर रिश्ते दिल से जुडे हुए हैं। ओशियन्स ऑफ अपार्च्यूनिटी के माध्यम से हम उसी साझी विरासत की अभिव्यक्ति करने आए हैं।
कुराए ने कहा-अविस्मरणीय अनुभव : थाइलैण्ड के नाफाफोंग कुराए ने कहा कि अब तक भारत की जिस भव्य विरासत को पुस्तकों में पढा-जाना था, उसे साक्षात देखने का अवसर मिला तो मन गद्गद हो गया। सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में पहली बार कत्थक डांस देखकर मुझे बहुत ही अच्छा लगा। यह अनुभव मैं जीवन भर याद रखूंगा। देशों के साथ ही ‘पब्लिक डिप्लोमेसी’ के माध्यम से सांस्कृतिक रिश्ते भी मजबूत हों, हर कलाकार यही चाहता है।
रिश्ते होंगे प्रगाढ़ : इंडोनेशिया के इकरो अखमद इब्राहिम लैली सुब्खी ने कहा कि हम रामायण काल में ही भारत से रिश्तों की डोर में बंधे थे। यह रिश्ते अब और अधिक मजबूत हो गए हैं। व्यापार के साथ ही तकनीक, संस्कृति व अन्य क्षेत्रों में आदान-प्रदान इसे और नई ऊंचाइयां देगा। उदयपुर आकर लगा ही नहीं कि मैं विदेश में कहीं पर हॅू। यहां बहुत सुकुन है, सीखने को भी बहुत कुछ।