फीके रंग दिवाली के, बाजार ठंडा
उदयपुर। इस बार पांच दिवसीय दीपोत्सव को लेकर लोगों में खासा उत्साह नजर नहीं आ रहा है। कुछ इसके पीछे जीएसटी को कारण बता रहे हैं तो कुछ मंदी। व्यापारियों की नजर में बाजार पर पूर्ण रूप से जीएसटी का प्रभाव है।
जानकारों के अनुसार रीत के अनुसार बाजार की साज सज्जा भी है, बाजारों में भीड़ भी है लेकिन ग्राहक गायब हैं। धनतेरस के दिन भी बाजार गुलजार हुआ तो गिने चुने इलेक्ट्रॉ निक, ऑटोमोबाइल और कुछेक सर्राफा व्यापारियों के यहां अन्यथा दूसरे दुकानदारों ने तो सिर्फ शक्लें ही देखीं।
व्याेपारियों का मानना है कि अब वो समय गया जब एक एक महीने पहले से त्योहारी तैयारियां की जाती थीं। अब तो जिस दिन जेब में पैसा, उस दिन त्योहार। त्योहार के दिन जेब में पैसा नहीं तो फिर कैसा त्योहार। सरकारी सेवाओं में कार्यरत लोगों के लिए जरूर त्योहार हो सकता है क्यों कि नियत समय पर तनख्वाह आती है और बोनस आदि भी मिलता है तो उनके भरोसे फिर भी बाजार कुछ चल जाता है। जिसको बहुत जरूरत होगी, वही बाजार में निकलेगा अन्यथा सिर्फ बाजार की सजावट देखने ही आता है।