उदयपुर पहुंचे अद्वितीय उपलब्धियों वाले
उदयपुर। किसी को 44 लाख का पुरस्कार मिल चुका है, कोई पद्मश्री से सम्मानित हो चुका है। किसी को राष्ट्रपति भवन में 15 दिनों के लिए आमंत्रित किया गया तो किसी ने अनूठी मशीन विकसित की है। कोई कृषि उपकरण के विकास का नवाचारी है तो किसी ने 2 फीट की गाजर उगाने में सफलता पाई है। किसी ने कृषि में अपने प्रयोगों से हजारों किसानों का भला किया है। ऐसे विलक्षण प्रतिभा वाले देश के 11 प्रदेशों के किसान वैज्ञानिक राष्ट्रीय मंथन व सम्मान समारोह हेतु उदयपुर पहुंच चुके हैं।
प्रोवोस्ट डा. महिमा बिड़ला ने बताया कि पेसिफिक विश्वविद्यालय द्वारा भारत के प्रतिभाशाली 45 किसान वैज्ञानिकों का सम्मान समारोह व दो दिवसीय राष्ट्रीय मंथन का आयोजन किया है। समारोह का शुभारंभ रविवार को पेसिफिक सभागार में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली के उप-महानिदेशक डा. एन.एस. राठौड़ के मुख्य आतिथ्य पाहेर विश्वविद्यालय के अध्यक्ष प्रो. बी.पी. शर्मा की अध्यक्षता में होगा। राष्ट्रीय मंथन में किसान वैज्ञानिक अपने नवीनतम शोधों की जानकारी किसानों से साझा करेंगे।
कार्यक्रम में आए हरियाणा के किसान वैज्ञानिक ईश्वर सिंह कुण्डू को 2013 में 44 लाख का पुरस्कार मिला। हरियाणा के ही धर्मवीर कम्बोज कृषि उपकरण बनाने में माहिर है एवं उनकी मशीने एक वर्ष में एक करोड़ से भी अधिक की बिकती है। राजस्थान के गुरमेल सिंह धौंसी कृषि उपकरण बनाने में भारत के नम्बर वन हैं। हिमाचल प्रदेश के हरिमन शर्मा तपती धरती पर सेब उत्पादन के लिए विख्यात हैं। जम्मू कश्मीर के मकबूल रैना का कहना है कि जम्मू कश्मीर का विकास बंदूक से नहीं बल्कि हल से ही हो सकता है। इसी प्रकार कार्यक्रम में आए सभी किसान वैज्ञानिकों ने उल्लेखनीय उपलब्धियों अर्जित की है। कार्यक्रम में इन्हीं किसानों की जीवन यात्रा पर आधारित पुस्तक प्रयोगधर्मी किसान लेखक डा. महेन्द्र मधुप का लोकार्पण भी होगा।