उदयपुर। गणिनी आर्यिका सौभाग्यमति माताजी के सानिध्य में 8 मई से हिरणमगरी से. 5 स्थित चन्द्रप्रभु मन्दिर में 6 दिवसीय ग्रीष्मकालीन संस्कार शिक्षण शिविर के दूसरे दिन ब्रह्मचारी पंकज भैया द्वारा शिविरार्थियों को ध्यान योग करवाया गया।
मनोज चम्पावत ने बताया कि गणिनी आर्यिका 105 सौभाग्यमति माताजी द्वारा दूसरे सत्र में छह ढाला की क्लास में बताया कि छह ढाला में इंसान अपनी भलाई चाहता है तो गुरु का उपदेश मन को एकाग्र कर के सुनो। अनादिकाल से यह संसारी जीव मोह रूपी मदिरा को पी रहा है और अपने आत्मस्वरूप को भूलकर व्यर्थ ही भटक रहा है। माताजी ने कहा कि इस जीव के संसार में भटकने की बहुत लंबी कहानी है तो भी कुछ जैसी पूर्व में मुनिराजों ने कहीं है इस जीव ने निगोद में एक इन्द्रिय का शरीर धारण करके अंतकाल बिताया है।
चम्पावत ने बताया कि शिविर में बीती रात सांस्कृतिक संध्या में खजाना खोज प्रतियोगिता करवाई गई। आज रात्रि को ब्रमचारी पंकज भैया द्वारा जैन हाउजी का कार्यक्रम आयोजित करवाया गया। आज की प्रभावना वितरण ओमप्रकाश गोदावत की ओर से की गई। शिविर में श्रावकांे का उत्साह देखकर गुरु मंा ने कहा कि तत्व की चर्चा में आप ने उत्साह दिखाया, इसलिये एक दिन आप भी दीक्षा लेंगे और अपना आत्म कल्याण करेंगे। यहंा पर सौभाग्य संस्कार शिविर लगाना मेरा सार्थक हो गया।