सायरा में 182 दिन बाद हुए आचार्य एवं युवाचार्य के एतिहासिक मिलन के देश भर के 5 हजार श्रावक बनें साक्षी
यह मिलन श्रमण संघ के विकास एवं उत्थान के नये आयाम स्थापित करेगाः महेन्द्र ऋषि
उदयपुर। सायरा में आज वो क्षण एतिहासिक बन गया जब 182 दिन बाद जब श्रमण संघ आचार्य डाॅ. शिवमुनि एवं युवाचार्य महेन्द्र ऋषि महाराज का एतिहासिक मिलन हुआ। इस मिलन को अपने नैनों में आजीवन बसने के लिये देश भर से करीब 5 हजार से अधिक श्रावक-श्राविकाओं का हुजूम उमड़ पड़ा।
सेहरा प्रान्त के छोटे कस्बे सायरा में आज प्रातः आचार्य डाॅ. शिवमुनि एवं युवाचार्य महेन्द्र ऋषि महाराज का छः महिने बाद हुआ मिलन हर्षोल्लास के साथ हुआ। सायरा श्री संघ ने इस एतिहासिक मिलन की तैयारियंा पूर्व में ही कर ली थी। आचार्यश्री सेमड़ से और युवाचार्य सिंघाड़ा से सायरा पंहुचे। जहंा सायरा श्रीसंघ ने शोभायात्रा निकाल कर दोनों महामनिषियों का जोरदार स्वागत किया,महिलायें मंगलकलश लिये पंक्तिबद्ध तरीके से शेाभायात्रा में साथ-साथ चल रही थी। यह सारा नजारा नयनों को मोहित कर रहा था।
शोभायात्रा सायरा के बस स्टेण्ड से रवाना हो कर विभिन्न मार्गो से होती हुई शील भवन पंहुची। जहंा आचार्यश्री एवं युवाचार्य की निश्रा में बम्बोरी परिवार ने शील भवन का उद्घाटन किया। तत्पश्चात शील भवन में धर्मसभा आयोजित की गई। प्रारम्भ में शिरीष मुनि ने मधुर वाणी में नवकार मंत्र का जाप किया। महिला मण्डल की महिलाओं ने मंगलगीत गा कर आचार्य एवं युवाचार्य का स्वागत एवं अभिनन्दन किया।
आचार्य डाॅ. शिवमुनि महाराज ने प्रवचन सभा में बोलते हुए कहा कि संयोग व वियोग प्रकृति के हाथों में है। मनुष्य का जीवन नदी,नाव एवं संयोग की भंाति है। समय,काल,चक्र के अनुसार मनुष्य मिलता एवं बिछुड़ता है। उदयपुर साधना निश्चित होने के कारण युवाचार्य धर्मप्रभावना और विचरण हेतु मध्यप्रदेश एवं राजस्थान के कुछ क्षेत्रों में जाना हुआ था। इस विचरण से निश्चित रूप से लोगों में धर्म के प्रति श्रद्धाभक्ति की भावना में वृद्धि हुई है। आज पुनः 6 माह बाद मिलना हर्ष का संचार करता है। सायरा संघ सौभाग्यशाली है जिसे यह परम सौभाग्यशाली अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि आज शील भवन नामक स्थानक लोकार्पण हुआ है। स्थानक का अर्थ आत्मा का उत्थान,चिन्तन एवं मनन होता है। जहंा सत्य की बात होती है।
इस अवसर पर युवाचार्य महेन्द्र ऋषि महाराज ने कहा कि आपको जीवन में जो मिला है उसका अधिक मूल्यंाकन न करें। दूसरों से ईष्र्या न करें और जो दूसरों से ईष्र्या करते है वे जीवन भर दुखी और अशंात रहते है। आज 6 महिनें बाद आचार्यश्री का सानिध्य पा कर मन प्रफुल्लित है। इंतजार की घड़िया हमेशा लम्बी होती है लेकिन मिलन की खुशियां इन्तजार के दर्द को समाप्त कर देती है। यह मंगलमय मिलन आने वाले समय में समाज एवं संघ के उत्थान में एक मील का पत्थर साबित होगा।
उन्होंने कहा कि सेहरा प्रान्त के इस छोटे से कस्बे सायरा के छोटे से छोटे बच्चें ने इस उत्सव को महोत्सव बनाया है। आपकी श्रद्धाभक्ति हमेशा स्मृतिपटल पर रहेगी। इससे पूर्व कुमारी निर्जरा एवं कुमारी देशना चपलोत ने मधुर गीतों की प्रस्तुति दी। परम विदुषी साध्वीवृदं एवं शुभम मुनि, प्रमुख मंत्री शिरीष मुनि,महाश्रमण जिनेन्द्र मुनि ने इस मंगल मिलन के अवसर पर प्रवचनों एवं भजनों से सभा को संबोधित किया। इस समारोह में जसवन्तगढ़, गोगुन्दा, बगडुन्दा, सेमड़, पदराड़ा, तिरपाल, नान्देशमा, ढोल कमोल, उदयपुर एवं मुबंई से हजारों श्रावक मौजूद थे।
चातुर्मास समिति के नाकोड़ा ज्योतिष कान्तिलाल जैन ने बताया कि उदयपुर से भी अनेक बसें सायरा गयी। उदयपुर श्रीसंघ के अध्यक्ष ओंकारसिह सिरोया, महामंत्री हिम्मतसिंह गलुण्डिया, हिम्मत कोठिफोड़ा, बसन्तीलाल कोठिफोड़ा सहित सैकउ़ो श्रावक सायरा गये थे।