उदयपुर। राजस्थान आदिवासी महासंघ की ओर से स्थानीय बीएन काॅलेज के नवनिर्मित सभागार में संघ का 52वां स्थापना दिवस मनाया गया। स्थापना दिवस के अवसर पर आदिवासियों का एक दिवसीय महासम्मेलन हुआ, जिसमें उदयपुर सम्भाग सहित राज्य के अनेक जिलों से भी आये बड़ी संख्या में आदिवासियों ने भाग लिया।
महासम्मेलन ने अपने अधिकारों एवं अपने पर हो रहे अत्यचारों के खिलाफ हुंकार भरी। सांसद अर्जुन मीणा ने कहा कि आदिवासियों के उत्थान हेतु संघ द्वारा बनाये गये 7 बिन्दुओं पर सरकार विचार करेगी। सरकार इस सन्दर्भ में जितना हो सकेगा करने का प्रयास करेगी। महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष भूपतसिंह भगोरा ने बताया कि सम्मेलन में मुख्य रूप से सात बिन्दुओं पर चर्चा हुई जिनमें सामाजिक एवं धार्मिक कार्यक्रमों में फिजुल खर्ची को रोकने के लिए जनजागरण अभियान चलाना, समाज में शैक्षणिक स्तर को सुधारने के प्रयास करना, अनुसूचित जनजाति क्षेत्र में पूर्ण रूप से शराबबन्दी लागू करवाने के साथ ही राज्य प्रशासनिक एवं पुलिस सेवा में साढ़े पंाच प्रतिशत पृथक सेस आरक्षण की व्यवस्था लागू करवाने सम्बन्धी चर्चाएं हुई। आदिवासियों का लगातार हो रहे शोषण से मुक्ति एवं उन्हें संविधन प्रदत्त अधिकारों को दिलवाना है।
सोमेश्वर मीणा एवं साधना मीणा ने कहा कि अब आदिवासी समाज जागृत हो गया हैं। विभिन्न सरकारों द्वारा आदिवासियों के संविधान प्रदत्त अधिकारों का हनन किया जा रहा हैं। वहीं दूसरी ओर जब कुछ संगठन अदिवासियों को उनके अधिकारों के प्रति जागृत कर रहे हैं। इधर कई राज्यों में निकट भविष्य में चुनाव होने वाले हैं आदिवासियों के मुद्दों को राजनैतिक रंग देकर अपनी- अपनी रोटियां सैंकने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। जबकि हकीकत यह है कि राजनेता गरीब आदिवासियों को उनका हक दिलाने में हमेशा उदासीन ही रहे हैं।
पूर्व प्रधान देवीलाल मीणा ने कहा कि आजादी के 70 वर्ष बाद भी आदिवासी समाज विकास की मुख्य धारा से कोसों दूर हैं उन्हें न तो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध करवाई जा रही है और न ही सस्ती-सुलभ चिकित्सा ही। एक तरह जहां देश में द्वितीय हरित क्रान्ति का दौर चल रहा है वहीं आदिवासी क्षेत्रों में कृषि अभी भी अत्यन्त पिछड़ी हुई है।
प्रदेश उपाध्यक्ष कारूलाल महिड़ा ने कहा कि इस आदिवासी स्थापना दिवस में सभी जिलों के सरपंचों से संवाद करने हेतु अलग- अलग लोगों टीमें गठित कर आदिवासी समाज के लोगों से संवाद किया गया। सम्मेलन में प्रत्येक तहसील एवं गांवों से लोगों की भागीदारी रही।
मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री यशवन्तसिंह ने कहा कि इस स्थापना दिवस पर जनजाति लोगों की समस्याओं के निराकरण के लिए देशभर के आदिवासियों को एक मंच पर लाने का प्रयास की प्रथम कड़ी है। राजस्थान आदिवासी संघ इसी दिशा में काम कर रहा हैं।
पूव संासद रघुवीरसिंह मीणा ने कहा कि राजस्थान आदिवासी संघ राजस्थान का सबसे बड़ा संगठन हैंे। इसके साथ में लाखों की संख्या में बौद्धिक व आन्दोलनकारी कार्यकर्ता जुड़े हुए हैं। राजस्थान आदिवासी संघ ने 52 वर्षों से देश में एक वैचारिक आन्दोलन खड़ा किया हैं। अब सभी की जिम्मेदारी है कि वक्त की नजाकत को समझते हुए अलग- अलग दिशा में भटकने की बनिस्पत एक ही मंच पर सभी इकट्ठे हो जाएं।
राजसमन्द संयोजक दौलतराम ने कहा कि उदयपुर राजस्थान आदिवासी संघ का 52वां स्थापना दिवस मंगलवार को बीएन कालेज ग्राउण्ड के इन्डोर स्टेडियम में सैकड़ों आदिवासी भाईयों की उपस्थिति में आयोजित किया गया। आयोजन में सबसे पहले डा़ भीमराव अम्बेडकरकी तस्वीर एवं भीलूराणा की तस्वीर पर फूलमाएं अर्पित कर पूजा- अर्चना कर सम्मेलन का आगाज किया गया। सैकड़ों आदिवासी परम्परागत वेशभूषा में थाली, मांदल,ढोल नगाड़ो के साथ एकत्रित हुए और तलवारों व लाठियों के साथ गैर खेला। पुरूष धोती-कुर्ता एंव केसरियां साफे में तथा महिलायें लाल साड़ी में मौजूद थी।
52वें आदिवासी संघ का स्थापना दिवस में भाग लेने के लिए संासद अर्जुन मीणा, पूर्व कांग्रेस सांसद रघुवीर मीणा,,अनेक गांवों के सरपंच एवं पदाधिकारी सहित कई जन प्रतिनिधि एवं पदाधिकारी मंच पर पहुंचे जिनका भव्य स्वागत सत्कार किया गया।
पूर्व विधायक मांगीलाल गरासिया ने सम्मेलन में मांग कि की बेरोजगार आदिवासियों को बेराजगा भत्ता दिया जाय। गांवों में कुपोषण दिनोंदिन बढ़ रहा है इस ओर सरकारों को ध्यान देना चाहिये। कई सरकारी योजनाओं का भी समुचित लाभ आदिवासियों को नहीं मिल पा रहा है। गंगाराम मीणा, धनराज अहारी, अमृत बोड़ात की देखरेख मं सम्मेलन में जिला संयोजक सुन्दरलाल अहारी, जिलाध्यक्ष हरीश कटारा, सरपंच विक्रम कटारा, आरसी खराड़ी, साधना मीणा, वाल्मिकी आश्रम बेणेश्वर धाम के कानू महाराज सहित अनेक वक्ताओं ने संबोधित किया। संचालन देवीलाल कटारा ने किया।