उदयपुर। श्रमण संघीय आचार्य डा. शिवमुनि महाराज ने कहा कि आधा-अध्ूारा ज्ञान स्वयं के लिये काफी नुकसानदयक होता है और सिर्फ उपरी ज्ञान हो जाने से मन में श्रद्धा उत्पन्न नहीं होगी और यदि मन में श्रद्धा कर भी ली तो झूठी होगी।
वे आज प्रातः पंचायती नोहरे से सैकड़ों श्रावकों के साथ विहार कर सर्वऋतु विद्यालय स्थित श्री शिवाचार्य चातुर्मास आयोजन समिति के प्रचार-प्रसार सह संयोजक संजय भण्डारी के निवास पर कुछ देर रूक कर उन्हें वहंा आशीर्वाद प्रदान कर हिरणमगरी से. 11 स्थित अमर जैन साहित्य संसथान पंहुचे। वहंा से. 11 सिथत महावीर भावन गये जंहा धर्मसभा का आयोजन किया गया। धर्मसभा को संबोधित करते हुए उन्होेंने कहा कि हम अपने को जानें नीज की आराधना नीज में रमण ही धर्म है। धर्म नीज आत्मा में है और आत्मा तुम्हारें भीतर है। हर आत्मा में परमात्मा है। तुम अनुभव करों, तुम हर संास में धर्म कर सकते हो।
आचार्यश्री ने कहा कि तुम्हारें भीतर यदि धर्म,करूणा एवं प्रेम दीया जल जायें तो यह निश्चित है कि तुम किसी का बुरा नहीं सोच सकते हो। आचार्य भिक्षु घर-घर से गोचरी ले कर आते थे तो सभी को खिलाने के बाद स्वयं खाते थे और यही सब एक मां करती है। मां खाना बनाकर सभी को खिलाने के बाद स्वयं खाती है। धर्म कोई प्रदर्शन की वस्तु नहीं है, वह कोई स्थानक, मंदिर, मस्जिद में जा कर नहीं हो सकता है। किसी गरीब, यतीम, अनाथ के चेहरे पर मुस्कान लाना सबसे बड़ा धर्म है।
प्रवचन से पूर्व युवाचार्य अपनी धवल सेना के साथ पंचायती नोहरे से विहार कर पगलियां करते हुए अमर साहित्य शोध संस्थान पधारें। जहंा महाश्रमण जिनेन्द्र मुनि आदि ससंघ एवं कलश लिये महिलाओं ने शोभायात्रा के साथ आचायश्री आदि ससंघ की भव्य अगवानी की।
महावीर भवन में हुई प्रवचन सभा से पूर्व स्थानीय बहु मण्डल ने सुमधुर गीत गा कर आचार्य भगवंत का अभिनंदन किया। युवाचार्य महेन्द्र ऋषि,प्रमुख मंत्री शिरीष मुनि, महाश्रमण मुनि ने सभा को संबोधित किया। सभा को मुख्य संयोजक विरेन्द्र डांगी,के.एल.नलवाया आदि ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर शंातिलाल बाबेल, हिम्मतसिंह दलाल,सभा संचालन संघ के महामंत्री हिम्मतसिंह गलुण्डिया, सुन्दरलाल माण्डावत, भंवर सेठ ने किया।