भारत के अतिलघु, लघु एवं मध्यम उद्योगों को सरकार की ओर से हर प्रकार का समर्थन और प्रोत्साहन दिया जाना आवश्यक है अन्यथा व्यापार एवं उद्योग सिर्फ बड़ी कम्पनियों द्वारा हड़प लिए जाएंगे एवं लघु एवं मध्यम इण्टरप्राइजेज बंद हो जाएंगे।
यह बात पेसिफिक विश्वविद्यालय के प्रेसिडेंट प्रो. बीपी शर्मा ने शुक्रवार 20 जुलाई को पेसिफिक विश्वविद्यालय के फैकल्टी आॅफ मैनेजमेंट द्वारा ‘इज आॅफ डूइंग बिजनेस फाॅर माइक्रो, स्माॅल एण्ड मिडियम इन्टरप्राइजेज’ विषय पर आयोजित सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि छोटी ईकाईयां अनेक रेगुलेटरी परिवर्तनों तथा जीएसटी संबंधित कठिनाईयों के कारण परेशानी में है। सरकार को चाहिए कि वे छोटी ईकाईयों की समस्याओं को समझकर उन्हें भरपुर प्रोत्साहन दें जिससे कि वे भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे सकें।
सम्मेलन संयोजक डाॅ. पुष्पकांत शाकद्विपीय ने बताया कि एमएसएमई की परेशानियों तथा उनके इज आॅफ डूइंग बिजनेस पर ब्रेन स्टोर्मिंग करके इस विषय मंे सुझावों को समाहित करते हुए एक प्रतिवेदन सरकार को प्रेषित करने के उद्देश्य से पेसिफिक विश्वविद्यालय ने इस गोलमेज सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें वाणिज्य एवं उद्योग से जुड़े हुए नगर के प्रमुख विशेषज्ञ अपने विचार प्रकट कर सकें।
अपने उद्बोधन में प्रो. बी.पी. शर्मा ने कहा कि बड़ी कम्पनियों एवं एम.एस.एम.ई. में लेवल प्लेईंग फील्ड नहीं होने के कारण छोटी ईकाईयों को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पूर्व में लघु उद्योगों को अनेक प्रकार के सब्सीडी एवं छूट आदि प्राप्त होती थी। जिसकी सहायता से लघु उद्योग फलते फूलते रहे एवं भारत की अर्थ व्यवस्था में उन्होंने अपना विशिष्ट स्थान बनाया। परन्तु डब्ल्यू.टी.ओ. समझौते की बाध्यताओं के कारण एवं जीएसटी लागू होने के पश्चात उन्हें मिलने वाले छूट एवं सब्सीडी बंद हो गए हैं। जीएसटी नियमों का पालन करने में छोटे उद्योगों को काफी दिक्कत आ रही है एवं वे बड़े उद्योगों के समक्ष टिक नहीं पा रहे हैं। भारत की जीडीपी में उनके योगदान को देखते हुए यह अतिआवश्यक है कि सरकार की तरफ से उन्हें हर प्रकार का प्रोत्साहन दिया जाए।
सम्मेलन में मंथन के दौरान वक्ताओं ने कहा कि छोटी ईकाईयां क्रेडिट की उपलब्धता, निर्यात तथा सरकारी प्रोत्साहन आदि हर क्षेत्र में कठिनाईयों का सामना कर रही हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकारी विभागों में वास्तविक डिजीटाइजेशन होना आवश्यक है जिससे छोटी ईकाईयों की समस्याओं को जानना एवं उनका समाधान जल्द से जल्द करना संभव हो सके। उन्होंने एक से अधिक राज्यों में व्यापार करने वाली छोटी ईकाईयों को जीएसटी नियमों के अन्तर्गत हो रही कठिनाईयों की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि बड़ी काॅरपोरेट कम्पनियों को मेन्टाॅर जैसा दायित्व निभाते हुए छोटी ईकाईयों की सहायता करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि छोटी ईकाईयों को भी जल्द से जल्द अपनी कार्य प्रणाली में सुधार कर जीएसटी के प्रति प्रतिबद्धता दर्शानी चाहिए।
कुछ वक्ताओं ने ध्यान आकर्षित करते हुए बताया कि जीएसटी नियमों के अन्तर्गत छोटी ई काॅमर्स ईकाईयों को हो रही कठिनाईयों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होने से जहां एक ओर बड़ी काॅरपोरेट कम्पनियों का कौस्ट आॅफ कम्प्लायन्स कम हुआ है उसी जगह छोटी ईकाईयों का इस मद में खर्च बढ़ गया है। अधिकतर वक्ताओं का मत था कि जीएसटी एक अच्छा कदम है परन्तु उसे बुरा बताने का चलन सा हो गया है। वक्ताओं ने छोटी ईकाईयों का आह्व्वान किया कि वे इस बात को समझें कि जीएसटी एक सच्चाई है जिससे वो बच नहीं सकते। इसलिए उन्हें इसके हर पक्ष को जल्द से जल्द समझने का प्रयास करना चाहिए। सम्मेलन में उदयपुर चेम्बर आॅफ काॅमर्स एण्ड इण्डस्ट्री की उपाध्यक्ष डाॅ. अंशु कोठारी, सीए रोहित मंगल, सीए कुणाल अग्रवाल, टेम्पसन्स के पी.पी. भट्टाचार्य एवं जिला उद्योग केन्द्र के पूर्व अधिकारी तेजेन्द्र मरवाह ने अपने विचार व्यक्त किए। अन्त में डाॅ दिपिन माथुर ने सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।